प्रेम का हाथ जहां छू जाता है वहीं यह जादू दिखने लग जाता है,

इन दिनों वेलेंटाइन वीक चल रहा है। हर तरफ प्यार की बातें हो रही हैं। बाजार प्यार के अहसास को अपने मुनाफे के लिए भुनाने में लगा हुआ है। कुछ लोग प्यार को स्त्री पुरुष के प्रेम संबंध तक जोड़कर देखने में लगे हैं और इसे अपने-अपने तरीके से परिभाषित करने में लगे हैं। लेकिन प्यार सिर्फ स्त्री-पुरुष के संबंध तक सीमित नही है। प्यार का दायरा क्या होता और इसमें कितना जादू है इसका जिक्र आध्यात्मिक गुरु ओशो ने अपने प्रवचन और पुस्तकों में किया है। यह प्यार की ऐसी कहानी है जिसे आप वेंलेंटाइन वीक में अपने पार्टनर, दोस्त और चाहने वाले के साथ शेयर कर सकते हैं और उन्हें प्यार के यही मायने बता सकते हैं।

टॉलस्टॉय एक दिन सुबह गांव की सड़क से निकले। तभी सामने से आए एक भिखारी ने हाथ फैलाया। टालस्टाय ने अपनी जेब टटोली लेकिन कुछ नहीं मिला। क्योंकि अपना पर्स वह घर पर ही भूल आए थे। सुबह घूमने आते वक्त उन्होंने अपने साथ पैसे नहीं रखे थे।

टॉलस्टॉय ने भिखारी से कहा, मित्र क्षमा करो, मेरे पास पैसे नहीं हैं। तुम्हें दुख जरूर होगा लेकिन मैं मजबूरी में पड़ गया हूं, पैसे मेरे पास नहीं है। टालस्टाय ने भिखारी के कंधे पर हाथ रखा, मित्र! क्षमा करना मेरे पास पैसे नहीं है। उस भिखारी ने कहा कोई बात नहीं। तुमने मित्र कहा, मुझे बहुत कुछ मिल गया। पैसे तो और बहुत लोग मुझे देते रहे हैं लेकिन जो तुमने दिया, वह आज तक किसी ने मुझे नहीं दिया। मैं बहुत अनुगृहित हूं।

प्यार में नहीं, त्याग में है असली आनंद, पढ़ें रोचक कथा

एक शब्द प्रेम का- मित्र, उस भिखारी के हृदय में पता नहीं क्या निर्मित कर गया? क्या बन गया? टॉलस्टॉय सोचने लगे। उस भिखारी का चेहरा बदल गया, वह दूसरा आदमी मालूम पड़ा। यह पहला मौका था कि किसी ने उससे कहा था, मित्र। भिखारी को मित्र कौन कहता है? प्रेम के इस एक शब्द ने उसके भीतर क्रांति कर दी, अब वह दूसरा आदमी बन गया था। उसकी हैसियत बदल गई, उसकी गरिमा बदल गई और उसका व्यक्तित्व बदल गया। आत्मविश्वास के स्तर पर वह दूसरी जगह खड़ा हो गया। वह पद- दलित एक भिखारी नहीं रह गया। वह भी एक मनुष्य है। उसके भीतर एक नया क्रिएशन शुरू हो गया। प्रेम के एक छोटे से शब्द से।

प्रेम का जीवन ही क्रिएटिव जीवन है। प्रेम का जीवन ही सृजनात्मक जीवन है। प्रेम का हाथ जहां भी छू देता है, वहां क्रांति हो जाती है, वहां मिट्टी सोना हो जाती है। प्रेम का हाथ जहां स्पर्श कर देता है, हवां अमृत की वर्षा शुरू हो जाती है।-ओशो/असंभव क्रांति