फ्लैट खरीदने का बना रहे हैं मन तो इन बातों को भी जरूर जांच लें

मुख्‍य द्वार का शुभ स्‍थान पर होना जरूरी

घर का मुख्‍य द्वार दिशा के अनुसार शुभ स्‍थान पर होना जरूरी है। शुभ स्‍थान पूर्वी ईशान, उत्‍तरी-ईशान, दक्षिणी-आग्‍नेय और पश्चिमी-वायव्‍य है। नैर्ऋत्‍य कोण के द्वार पूर्ण रूप से अशुभ माने जाते हैं। नैर्ऋत्‍य कोण में बड़े और ऊंचे पेड़ उत्‍तम माने जाते हैं। वहीं ईशान कोण में जल की व्‍यवस्‍था और पानी की टंकी और बोरिंग होना अच्‍छा होता है। ईशान कोण को देवताओं की दिशा माना जाता है इसलिए इस दिशा में जल की मौजूदगी को शुभ माना जाता है।

दांपत्‍य जीवन में कलह पैदा करते हैं वास्‍तु के ये दोष, कहीं आपके घर में तो नहीं

स्विमिंग पूल हो इस दिशा में

स्विमिंग पूल हो इस दिशा में

अगर आप किसी सोसाइटी में फ्लैट लेने के बारे में सोच रहे हैं तो यह देखना चाहिए कि स्विमिंग पूल आपके फ्लैट से पश्चिम दिशा में हो और हेल्‍थ क्‍लब और जिम आदि आपके घर के पूर्व दिशा में हों।

ऐसे फ्लैट नहीं होते शुभ

ऐसे फ्लैट नहीं होते शुभ

फ्लैट के मामले में उसका आकार भी बहुत मायने रखता है। वास्‍तु के अनुसार L और C के आकार के फ्लैट अच्‍छे नहीं माने जाते हैं। साथ ही आपके फ्लैट के सामने सीढ़ियां और लिफ्ट नहीं होने चाहिए। सीढ़ियां नैर्ऋत्‍य कोण, दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा में होना शुभ माना जाता है। भूलकर भी सीढ़ियां ईशान कोण या फिर पूर्व और उत्‍तर दिशा में नहीं होनी चाहिए। ईशान कोण अधिक से अधिक खुला और हवादार होना चाहिए।

मास्‍टर बेडरूम होना चाहिए इस दिशा में

मास्‍टर बेडरूम होना चाहिए इस दिशा में

आपके घर में मास्‍टर बैडरूम नैर्ऋत्‍य कोण में होना सबसे शुभ माना जाता है। वहीं किचन आग्‍नेय कोण या फिर वायव्‍य कोण में होनी चाहिए। गलती से भी किचन ईशान कोण में नहीं बनाना चाहिए। ध्‍यान रहे कि टॉयलट और बॉथरूम फ्लैट के मध्‍य में न हो।

मुख्‍य द्वार को ऐसे बनाएं दोष मुक्‍त

मुख्‍य द्वार को ऐसे बनाएं दोष मुक्‍त

यदि मुख्‍य द्वार तंग लॉबी या फिर पतले से गलियारे में खुलता हो तो घुटन से बचने के लिए और दोष को दूर करने के लिए मुख्‍य द्वार के सामने एक बहुत बड़ा सा दर्पण लगा सकते हैं।

धन से लेकर दांपत्‍य सुख तक स्वास्तिक के लाभ जानें

बीम के नीचे न रखें कोई सामान

बीम के नीचे न रखें कोई सामान

यदि घर के किसी भी स्‍थान की छत पर बीम है तो भूलकर भी उसके नीचे, बेड, फर्नीचर या फिर अन्‍य कोई बैठने का सामान न रखें। ऐसा करने से वह व्‍यक्ति बीमार रहता है।

उत्‍तर-पूर्व में होना चाहिए ऐसा

उत्‍तर-पूर्व में होना चाहिए ऐसा

आपके घर में उत्‍तर-पूर्व दिशा में दक्षिण या फिर पश्चिम की अपेक्षा अधिक खाली स्‍थान होना चाहिए। इस दिशा को देवस्‍थान माना जाता है। यहां पर खाली स्‍थान का रहना बहुत जरूरी होता है। पूजाकक्ष ईशान कोण में बनाएं और बेडरूम में न बनाएं। पढ़ते समय बच्‍चों का मुख उत्‍तर या पूर्व में होना चाहिए।

वास्‍तु: क्‍या आप भी घिर चुके हैं नेगेटिव एनर्जी से, ऐसे पहचानें और ऐसे करें दूर