300 साल पुराना है मंदिर
मंडी को छोटी काशी भी कहा जाता है क्योंकि जिस तरह काशी गंगा नदी के तट पर स्थित है, उसी तरह मंडी ब्यास नदी के तट पर स्थित है। मंडी के प्रमुख स्थानों में से एक है पंचवक्त्र मंदिर। यह मंदिर सुकोती और ब्यास नदी के संगम पर स्थित है। बताया जाता है कि यह मंदिर 300 साल पुराना है और इसे तत्कालीन राजा सिद्ध सेन (1684-1727) ने बनवाया था। विशाल मंच पर खड़ा यह मंदिर बाढ़ के बीच भी बहुत अच्छी तरह से सुसज्जित है।
मंदिर को चारों ओर से बाढ़ ने घेरा
हिमाचल में आई बाढ़ से सारा आधुनिक निर्माण धराशाई हो गया है लेकिन मंदिर पूरी तरह टिका हुआ है। यह मंदिर हर मॉनसून सीजन में जलमग्न हो जाता है लेकिन मंदिर पूरी तरह नहीं डूबता। बताया जा रहा है कि 100 साल बाद बाढ़ ने मंदिर के बगल स्थिति विक्टोरिया ब्रिज को अपनी चपेट में ले लिया है। बाढ़ के पानी ने मंदिर को चारों ओर से घेर लिया है लेकिन बाढ़ का मंदिर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
पंचमुखी प्रतिमा है मंदिर के गर्भगृह में
मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की विशाल पंचमुखी प्रतिमा स्थापित है इसलिए इस मंदिर को पंचवक्त्र नाम दिया गया है। यहां पांच मुख वाली शिव प्रतिमा है, जो भगवान शिव के विभिन्न स्वरूप ईशान, अघोरा, वामदेव, तत्पुरुष और रुद्र को दर्शाते हैं। ईशान सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान, अघोर विनाशकारी प्रकृति, वामदेव स्त्री रूप, तत्पुरुष उसका अहंकार और रुद्र रचनात्मक और विनाशकारी पहलू है।
राष्ट्रीय स्थल है पंचवक्त्र मंदिर
भगवान शिव की पंचमुखी प्रतिमा को सामने से देखने पर केवल तीन चेहरे दिखाई देते हैं। मंदिर का मुख्य द्वार ब्यास नदी की तरफ है और इसके दोनों ओर द्वारपाल हैं। पंचमुखी महादेव के साथ नंदी की भी भव्य मूर्ति है, जिसका मुख गर्भगृह की दिशा में है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने पंचवक्त्र महादेव मंदिर को राष्ट्रीय स्थल घोषित किया गया है।
वास्तु शिल्प का खजाना है पंचवक्त्र मंदिर
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान इसी स्थान पर भगवान शिव से आशीर्वाद मांगा था। मंदिर के अंदर का शांत वातावरण रोजमर्रा की जिंदगी की उथल-पुथल से राहत देता है। भक्त अक्सर ध्यान और प्रार्थना में संलग्न रहते हैं, खुद को मंदिर परिसर में व्याप्त दिव्य ऊर्जा में डुबो देते हैं। अपने आध्यात्मिक महत्व से अलग, पंचवक्त्र मंदिर वास्तुशिल्प चमत्कारों का खजाना है। पौराणिक दृश्यों और देवताओं को दर्शाती जटिल पत्थर की नक्काशी बीते युग में ले जाती है।
मंदिर की संरचना है देखने लायक
पंचवक्त्र मंदिर के निर्माण में पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है और इसकी शिखर-शैली की संरचना देखने लायक है। मंदिर का हर कोना एक कहानी कहता है, इसकी दीवारें भक्ति और आस्था के कलात्मक कैनवास के रूप में काम करती हैं। मंदिर की पांच अलग-अलग चोटियां भगवान शिव के पांच चेहरों का प्रतीक हैं, जो उनकी ब्रह्मांडीय शक्ति और सर्वज्ञता का प्रतिनिधित्व करती हैं। जैसे ही सूर्य की किरणें मंदिर को रोशन करती हैं, उस वक्त का नजारा मंत्रमुग्ध कर देता है।
मंदिर में मिलती है मानसिक शांति
पंचवक्त्र मंदिर आध्यात्मिकता, इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता को जोड़ता है। मंडी के आसपास का नजारा देखने लायक है। हरी-भरी हरियाली और बर्फ से ढकी चोटियां मंदिर के आकर्षण को बढ़ाती हैं। जैसे ही मंदिर परिसर के पास पहुंचते हैं, वहां बजती हुईं घंटियों की ध्वनि और धूप की सुगंध दिव्य अहसास कराती है। यहां व्यक्ति आंतरिक शांति पा सकता है और परमात्मा से जुड़ सकता है।