सांप ने देखा कुवें मे बड़े किंग साईज़ के बड़े बड़े मेढक मौजूद थे।
पहले तो डरा फिर एक सूखे चबूतरे पर जा बैठा और मेढकों के प्रधान को लगा खोजने।
अखिर उसने एक मेढक को बुलाया और कहा मैं सांप हूँ मेरा ज़हर तुम सब को पानी मे मार देगा।
ऐसा करो रोज़ एक मेढक तुम मेरे पास भेजा करो, वह मेरी सेवा करेगा और तुम सब बहुत आराम से रह सकते हो।
पर याद रखना एक मेढक रोज़ रोज़ आना चाहिए।एक एक कर के सारे मेढक सांप खा गया।
जब अकेले प्रधान मेढक बचा तब सांप चबूतरे से उतर कर पानी मे आया और बोला प्रधान जी आज आप की बारी है।
प्रधान मेढक ने कहा मेरे साथ विश्वास घात ? सांप बोला जो अपनो के साथ विश्वास घात करता है उसका यही अंजाम होता है।
फिर उसने प्रधान जी को गटक लिया।
कुछ देर के बाद साँप आहिस्ता आहिस्ता कुवें के ऊपर आ कर चबूतरे पर लेट गया।
तभी एक बाज ने आ कर साँप को दबोच लिया नवनीत और बोला पहचान साँप मुझे मैं वही बाज हूँ जिसके बच्चे तूने पिछले साल खा लिये थे।
और जब तुझे पकड़ कर ले जा रहा था तब तू मेरे पंजे से छूट कर कुएं मे जा गिरा था।नवनीत
तब से मैं रोज़ तेरी हरकत पर नज़र रखता था।आज तू सारे मेढक खा कर काफी मोटा हो गया।
मेरे फिर से बच्चे बड़े हो रहे है वह तुझे ज़िंदा नोच नोच कर अपने भाई बहनो का बदला लेंगे।।
फिर बाज साँप को लेकर उड़ गया अपने घोसले की तरफ।
बुराई एक दिन हार जाती है वह चाहे कितनी भी ताक़त वर हो !