वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति ।
ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा ॥
अर्थात्
ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को रूप, लक्ष्मी, बुद्धि, आरोग्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल के समान सुन्दर हो जाता है।
प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो ।
तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचेत सुवीर: ॥ [ऋग्वेद-1/125/1]
अर्थात्
जो व्यक्ति प्रातःकाल सूर्य उदय से पहले उठता है उसका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसलिए बुद्धिमान लोग इस समय को बर्बाद नहीं करते हैं। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी, बलवान और दीर्घायु होता है।
यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा ।
सुवाति सविता भग: ॥ [सामवेद-35]
अर्थात्
व्यक्ति को प्रात: काल सूर्योदय से पहले शौच और स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान की पूजा करनी चाहिए। इस समय की शुद्ध एवं स्वच्छ वायु से आरोग्य एवं धन की वृद्धि होती है।
उद्यन्त्सूर्यं इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे । [अथर्ववेद- 7/16/२]
अर्थात्
जो सूर्य के निकलने पर भी नहीं जागते या जागते हैं, उनका तेज समाप्त हो जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त का महत्व
हिंदू धर्म में ब्रह्म मुहूर्त को सबसे अच्छा समय माना जाता है। पौराणिक काल में जो ऋषि मुनि हुआ करते थे वे इस समय को साधना के लिए उचित मानते थे। इस समय की गई भगवान की पूजा शीघ्र फल देती है। ब्रह्म मुहूर्त में ही मंदिरों के कपाट भी खोल दिए जाते हैं। पुराणों के अनुसार इस समय सोने से ब्रह्म मुहूर्त के पुण्य नष्ट हो जाते हैं। इस समय सोना वर्जित होता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाला व्यक्ति सफल, सुखी और समृद्ध होता है। इसलिए अगर स्वस्थ और सफल रहना है, तो ब्रह्म मुहूर्त में उठें।