भगवान अलारनाथ की कहानी: श्री जगन्नाथ कथा (Story of Bhagwan Alarnath: Shri Jagannath Katha)

रथयात्रा से ठीक पहले भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के देव स्नान पूर्णिमा से नेत्र उत्सव तक भक्तों द्वारा भगवान अलारनाथ की पूजा की जाती है।माना जाता है कि देव स्नान पूर्णिमा के बाद, देवता बीमार पड़ जाते हैं। देवताओं के स्नान के लिए कुल 108 औषधिक एवं सुगंधित पानी के बर्तन का उपयोग किया जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के इस शाही स्नान समारोह के 15 दिन बाद तक तीनों देवता सार्वजनिक दर्शन से दूर रहते हैं। इस अवधि को अनासार अवधि के रूप में जाना जाता है। इस अवधि के दौरान, भक्त जगन्नाथ मंदिर में भगवान की एक झलक के दर्शन भी नहीं कर पाते।

अनासार के दौरान जब भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं, तब अलारनाथ मंदिर परिसर मे भगवान को खीर का भोग लगाया जाता है तथा साथ ही साथ भक्तों को भी यही भोग भेंट किया जाता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु को भगवान अलारनाथ के रूप में पूजा जाता है। मंदिर मे प्रतिष्ठित भगवान विष्णु अपने विग्रह रूप के साथ-साथ, प्रार्थना मुद्रा मे अपने वाहन गरुड़ के साथ विराजमान हैं। भगवान विष्णु की चार भुजाएँ हैं, उनके ऊपरी दाहिने हाथ में चक्र, निचले दाहिने हाथ में कमल, ऊपरी बाएँ हाथ में शंख तथा निचले बाएँ हाथ में क्लब. भगवान कृष्ण की पत्नी रानी रुक्मिणी एवं सत्यभामा भी मंदिर मे विराजमान हैं।

ऐसा माना जाता है कि प्रसाद के रूप में खीर खाने के बाद अस्वस्थ लोग स्वस्थ हो जाते हैं। अतः यह खीर अस्वस्थ लोगों के लिए एक दवा के रूप में काम करती है। इस मंदिर को मुख्य रूप से प्रमुखता तब मिली, जब सोलहवीं शताब्दी में श्री चैतन्य महाप्रभु ने भगवान जगन्नाथ के रूप में यहाँ भगवान अलारनाथ के दर्शन किए। तब से यह स्थान भगवान जगन्नाथ के अस्थायी निवास स्थान के रूप में लोकप्रिय हो गया है। इन दिनों मंदिर में भगवान अलारनाथ को रोजाना उतनी ही मात्रा में प्रसाद चढ़ाया जाता है, जितनी मात्रा से सामान्य दिनो मे, पुरी के भगवान जगन्नाथ को चढ़ाया जाता है।

स्नाना यात्रा के बाद आषाढ़ के कृष्णपक्ष के दौरान अलारनाथ मंदिर मे भक्तों की संख्या अत्यधिक बढ़ जाती है। लोगों का मानना है कि ब्रह्मागिरि के अलारनाथ मंदिर में, जो कि पुरी से लगभग 18 किमी दूर है, और भगवान विष्णु को समर्पित है, अलारनाथ भगवान जगन्नाथ रूप में प्रकट होते हैं।

कैसे पहुँचें: ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के साथ सड़क मार्ग से अलारनाथ मंदिर अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। पुरी जिले के ब्रम्हागिरी में स्थित अलारनाथ भुवनेश्वर से लगभग 90 किलोमीटर दूर स्थित है।