अब ऐसे में मन में सवाल है कि आखिर भगवान का महाप्रसाद मिट्टी के बर्तन में ही क्यों बनाया जाता है।
मिट्टी का बर्तन पवित्रता का प्रतीक है
मिट्टी को एक पवित्र तत्व माना जाता है। हिंदू धर्म में मिट्टी को देवी पृथ्वी का प्रतीक माना जाता है, जो जीवन और समृद्धि का स्रोत है। मिट्टी प्रकृति का प्रतीक है और जगन्नाथ जी प्रकृति से जुड़े हैं। मिट्टी के बर्तनों में प्रतीक बनाकर भक्त प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। मिट्टी के बर्तन सादगी और विनम्रता का प्रतीक हैं। जगन्नाथ जी को सभी भक्तों के समान माना जाता है और मिट्टी के बर्तन में बनी प्रतिमा इसी भावना को दर्शाती है। इसलिए भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा मिट्टी के बर्तन में बनाई जाती है।
मिट्टी का बर्तन शुभता का प्रतीक है
हिंदू धर्म में मिट्टी को देवी पृथ्वी का प्रतीक माना जाता है, जो जीवन और समृद्धि का स्रोत है। इतना ही नहीं मिट्टी के बर्तनों में बना महाप्रसाद भगवान जगन्नाथ को बहुत प्रिय है। इसलिए भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद मिट्टी के बर्तन में बनाया जाता है।
दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में बनता है महाप्रसाद
जगन्नाथ मंदिर में स्थित रसोई को दुनिया की सबसे बड़ी रसोई कहा जाता है। यहां मिट्टी और ईंट से बने 240 स्टोव हैं। इसके साथ ही 500 रसोइये 300 सहयोगियों के साथ मिलकर 56 भोग तैयार करते हैं। यहां भोग बनाने की प्रक्रिया भी अलग है। यहां चूल्हे पर 9 बर्तन एक के ऊपर एक रखे हुए हैं। जो नवग्रह, 9 अनाज और नवदुर्गा का भी प्रतिनिधित्व करता है। खास बात यह है कि खाना सबसे पहले ऊपर रखे बर्तन में ही पकता है।