सरस्वती मंदिर, पुष्कर राजस्थान
आपने पुष्कर में स्थित ब्रह्मा जी के मंदिर के बारे में जरूर सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुष्कर में माता सरस्वती का मंदिर भी है। आपको अगर कला और शिल्पकारी में रुचि है, तो आपको इस मंदिर में जरूर जाना चाहिए क्योंकि यह मंदिर अपनी नक्काशी के लिए मशहूर है।
वारंगल श्री विद्या सरस्वती मंदिर, आंध्रप्रदेश
आंध्रप्रदेश के वारंगल जिले में स्थित श्री विद्या सरस्वती मंदिर में देवी सरस्वती के अलावा लक्ष्मी गणपति मंदिर, भगवान शनीश्वर मंदिर, और भगवान शिव मंदिर भी मौजूद हैं। माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति का दुर्भाग्य उसका पीछा नहीं छोड़ रहा है, तो वो इस मंदिर में आकर मां सरस्वती और अन्य देवी-देवताओं की आराधना करके सौभाग्य प्राप्त कर सकता है।
श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर, आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के अदिलाबाद जिले में स्थित इस मंदिर को बासर या बसरा नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद ऋषि व्यास के मन में बहुत ही अशांति उत्पन्न हो चुकी थी। युद्ध की विभीषिका देखकर उनका मन अति व्याकुल हो गया था। इस वजह से ऋषि व्यास शांति की खोज में निकल गोदावरी नदी की तरफ निकल पड़े। वहां उन्होंने आगे का मार्ग दिखाने के लिए माता सरस्वती की आराधना की, इसके बाद देवी सरस्वती ने उन्हें दर्शन दिए। कहा जाता है कि देवी के कहने पर ऋषि व्यास ने वे गोदावरी नदी के किनारे कुमारचला पहाड़ी पर पहुंचे और देवी की आराधना की। उनसे प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें दर्शन दिए। देवी के आदेश पर उन्होंने प्रतिदिन तीन जगह तीन मुट्ठी रेत रखी। चमत्कार स्वरूप रेत के ये तीन ढेर तीन देवियों की प्रतिमा में बदल गए जो सरस्वती, लक्ष्मी और काली कहलाईं।
पनाचिक्कड़ सरस्वती मंदिर, केरल
दक्षिण भारत में इस मंदिर को मूकाम्बिका मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में एक बात बहुत प्रसिद्ध है, यहां पर देवी सरस्वती की प्रतिमा के सामने एक दीया हमेशा जलता रहता है। यहां पर देवी सरस्वती की एक प्रतिमा नहीं बल्कि और भी प्रतिमाएं हैं, जो अलग-अलग रूपों में बनाई गईं हैं। आप भी अगर इस दिव्य दीए के दर्शन करना चाहते हैं, तो एक बार पनाचिक्कड़ में जाकर सरस्वती मंदिर में दर्शन जरूर करके आएं।
सरस्वती माता मंदिर, माणा
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित माणा गांव में सरस्वती माता का एक प्राचीन मंदिर है। माना जाता है कि देवी सरस्वती सबसे पहले यहीं पर प्रकट हुई थीं। यह वही गांव है, जहां से होकर पांडव स्वर्ग में गए थे। भारत के आखिरी छोर पर होने की वजह से माणा गांव को देश का आखिरी गांव कहा जाता था लेकिन अब इसे देश का प्रथम गांव कहा जाने लगा है। यहां सरस्वती नदी भी बहती है। इसे सरस्वती नदी का उद्गम स्थल भी कहा जाता है।