सुबह जल्दी गया, ताकि परमात्मा से पहली मुलाकात उसी की हो, पहली प्रार्थना वही कर सके। कोई दूसरा पहले ही मांग कर परमात्मा का मन खराब न कर चुका हो! बोहनी की आदत जो होती है, कमबख्त यहाँ भी नहीं छूटी।
सो सुबह-सुबह पहुँचा मन्दिर। लेकिन यह देख कर हैरान हुआ कि गाँव का एक भिखारी उससे पहले से ही मन्दिर में मौजूद था। अंधेरा था, वह भी पीछे खड़ा हो गया, कि भिखारी क्या मांग रहा है?
धनी आदमी सोचता है, कि मेरे पास तो मुसीबतें हैं, भिखारी के पास क्या मुसीबतें हो सकती हैं?
और भिखारी सोचता है, कि मुसीबतें मेरे पास हैं। धनी आदमी के पास क्या मुसीबतें होंगी?
एक भिखारी की मुसीबत दूसरे भिखारी के लिए बहुत बड़ी न थी !
उसने सुना, कि भिखारी कह रहा है – हे परमात्मा ! अगर पाँच रुपए आज न मिलें तो जीवन नष्ट हो जाएगा। आत्महत्या कर लूँगा। पत्नी बीमार है और दवा के लिए पाँच रुपए होना बिलकुल आवश्यक हैं ! मेरा जीवन संकट में है !
अमीर आदमी ने यह सुना और वह भिखारी बंद ही नहीं हो रहा है – कहे जा रहा है और प्रार्थना जारी है।
तो उसने झल्लाकर अपने जेब से पाँच रुपए निकाल कर उस भिखारी को दिए और कहा – जा ये ले जा पाँच रुपए, तू ले और जा जल्दी यहाँ से।
अब वह परमात्मा से मुखतिब हुआ और बोला – प्रभु, अब आप ध्यान मेरी तरफ दें, इस भिखारी की तो यही आदत है। दरअसल मुझे पाँच करोड़ रुपए की जरूरत है।
भगवान मुस्करा उठे बोले – एक छोटे भिखारी से तो तूने मुझे छुटकारा दिला दिया, लेकिन तुझसे छुटकारा पाने के लिए तो मुझको तुमसे भी बडा़ भिखारी ढूँढना पड़ेगा, तुम सब लोग यहाँ कुछ न कुछ माँगने ही आते हो, कभी मेरी जरूरत का भी ख्याल आया है?
धनी आश्चर्यचकित हुआ बोला – प्रभु आपको क्या चाहिए?
भगवान बोले – प्रेम ! मैं भाव का भूखा हूँ। मुझे निस्वार्थ प्रेम व समर्पित भक्त प्रिय है। कभी इस भाव से मुझ तक आओ फिर तुम्हें कुछ मांगने की आवश्यकता ही नही पड़ेगी।