अब थाम लीजिये ॥दोहा – रोता हूँ जार जार,
कुछ असर ही नहीं है,
लगता है मेरी मात को,
मेरी फ़िकर ही नहीं है ॥
मैया जी मेरे हाथ को,
अब थाम लीजिये,
मजबूर हूँ माँ मैं बड़ा,
मजबूर हूँ माँ मैं बड़ा,
अब ध्यान दीजिये,
मईया जी मेरे हाथ को,
अब थाम लीजिये ॥
कर ना सको जो माँ मेरी,
माँगा नहीं है वो,
सहने ना पाऊं मैं जिसे,
लागा है घाव वो,
अपनी दया का अब मुझे,
कुछ दान दीजिये,
मजबूर हूँ माँ मैं बड़ा,
मजबूर हूँ माँ मैं बड़ा,
अब ध्यान दीजिये,
मईया जी मेरे हाथ को,
अब थाम लीजिये ॥
लगता है मेरी बात का,
कुछ भी असर नहीं,
बेटे की मात क्या तुझे,
कुछ भी फिकर नहीं,
हालात है बुरे ओ माँ,
ये जान लीजिये,
मजबूर हूँ माँ मैं बड़ा,
मजबूर हूँ माँ मैं बड़ा,
अब ध्यान दीजिये,
मईया जी मेरे हाथ को,
अब थाम लीजिये ॥
हमने सुना है दीन पे,
करती हो तुम दया,
कहने में तुमसे माँ मेरी,
आती नहीं हया,
तेरे ‘हर्ष’ का रुका हुआ,
हर काम कीजिये,
मजबूर हूँ माँ मैं बड़ा,
मजबूर हूँ माँ मैं बड़ा,
अब ध्यान दीजिये,
मईया जी मेरे हाथ को,
अब थाम लीजिये ॥
* BhaktiBharat Lyrics
मईया जी मेरे हाथ को,
अब थाम लीजिये,
मजबूर हूँ माँ मैं बड़ा,
मजबूर हूँ माँ मैं बड़ा,
अब ध्यान दीजिये,
मईया जी मेरे हाथ को,
अब थाम लीजिये ॥
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