मांसाहार नहीं छोड़ पा रहे तो आध्यात्मिकता का इरादा प्रबल नहीं

सुलझन – अध्यात्म, समर्पण का मार्ग है, यदि आप मांसाहार छोड़ नहीं सकते, तो शायद अभी आध्यात्मिकता का इरादा प्रबल नहीं है और जिस दिन अपने से जुड़ने का भाव आपके अंदर मजबूत हो जाएगा, उस दिन आपसे मांस खाया नहीं जाएगा। आप अपने अध्यात्म मार्ग को बल देना शुरू करें, एक दिन आप पाएंगे मांसाहार की इच्छा ही समाप्त हो जाएगी। मन के अशांत होने के अनेक कारणों में हिंसा बड़ा कारण है। किसी जीव का मांस खाना हिंसा ही है।

जीव को मारते समय उसके तड़फन का भाव भी मांस में आ जाता है, जिसका सेवन करने से व्यक्ति के अंदर हिंसक भाव पैदा हो जाता है, हिंसक संस्कार प्रबल, भारी व ताकतवर होते हैं। इसलिए आध्यात्मिकता की यात्रा में यदि मांसाहार से दूर रहा जाए तो मन आराम से और जल्दी सधने लगता है। मांसाहार तम गुण बढ़ाता है, जिस कारण आलस्य, क्रोध, चिड़चिड़ापन, निराशा, द्वेष, वासना आदि नेगेटिव भाव पैदा हो जाते हैं।