माता के इस मंदिर में प्रसाद के लिए लाइन लगाते हैं भालू

आपने माता के कई चमत्कारी मंदिरों के बारे में सुना और पढ़ा होगा लेकिन यह मंदिर अपने आप में अनोखा है। इस मंदिर में आने वाले दर्शनार्थी यहां शाम की आरती का नजारा देखकर हैरान रह जाते हैं। दरअसल यहां शाम की आरती के बाद मंदिर प्रांगण में ऐसा दृश्य होता है जिसे देखकर लोग अचंभित रह जाते हैं। यहां के पंडित और स्थानीय लोग इसे माता का चमत्कार बताते हैं। आइए जानें छत्तीसगढ़ के उस अनोखे मंदिर के बारे में जहां माता की भक्ति का एक अनोखा नजारा दिखता है।

स्‍वयंभू है चंडी माता का मंदिर
छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के घुंचापाली गांव में चंडी माता का अद्भुत मंदिर है। यह मंदिर 150 साल पुराना है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर में स्‍थापित मां चंडी की प्रतिमा स्‍वयंभू है। यही नहीं पहाड़ों पर स्थित मां के इस मंदिर का निर्माण कई बार किया गया है। बताते हैं कि इस मंदिर में स्‍थापित मां की प्रतिमा सल-दर-साल बढ़ रही है।

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जलती है मनोकामना ज्‍योति
मां चंडी के इस मंदिर में चैत्र व आश्विन नवरात्र के दिनों में विशेष ज्‍योति जलाई जाती है। इस ज्‍योति को मनोकामना ज्‍योति कहते हैं। मंदिर परिसर में एक ज्‍योति कक्ष भी है, जहां पर ज्‍योति हर समय जलती रहती है। कहते हैं कि मनोकामना ज्योति के दर्शन से भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं।

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आरती होते ही आ जाते हैं भालू
घुंचापाली के चंडी माता मंदिर में जैसे ही शाम की आरती शुरू होती है। वहां पर भालुओं का आना शुरू हो जाता है। पंडित बताते हैं कि पास के जंगल से बहुत से भालू मंदिर में आकर शांति से बैठ जाते हैं। इसके बाद जैसे ही प्रसाद वितरण होता है वह प्रसाद लेकर वापस चले जाते हैं। बताते हैं कि आज तक इन भालुओं ने किसी भी भक्‍त को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। लेकिन ये भालू आरती के समय कैसे और क्‍यों पहुंच जाते हैं? इस बारे में फिलहाल अभी तक कुछ नहीं कहा जा सका है। बहरहाल पंडित बताते हैं कि ये भालू मां के भक्त हैं और माता की आरती और पूजा में शामिल होने आते हैं।

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