‘मुझे सिर्फ मोक्ष चाहिए’

सौरभ अग्रवाल, देबश्री घोष।।

आध्यात्म और ज्ञान का संगम कुंभ नगरी इलाहाबाद में इस पूर्ण कुंभ के दौरान अनेक रंगों में रंगे विदेशी साधु, संन्यासी और साध्वियां मिल रहे हैं। सभी सनातन धर्म और इस पूर्ण कुंभ की आध्यात्मिक गोष्ठी को देखकर भावविभोर दिख रहे हैं। यह वह समय है जब यहां मोह और माया का परचम नहीं बल्कि आध्यात्म और समर्पण के भाव साफ दिखाई देते हैं। रोज-रोज नए चेहरों को देखना, उनके समर्पण को महसूस करना फिर किसी आध्यात्मिक स्वप्न को देखते हुए सूरज के उगने से पहले उठ जाना और भगवान की अनंत उपासना में विलीन हो जाना, यही इन सभी साधुओं की दिनचर्या है। ये साधु जर्मनी, इटली, रूस, कनाडा हर देश से इलाहाबाद में चले आ रहे हैं। पेश हैं इटली से आए एक ऐसे ही साधु के अनुभवः-

कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनको हमें हमेशा अपने मन और दिल पर छोड़ देना चाहिए। जब बात दिल की हो तो जाहिर है आप उसी की सुनना पसंद करेंगे। मेरे दिल को आकर्षित किया इंडिया ने और मैं यहीं चला आया। मेरा नाम है स्वामी भक्ति आलोक परमद्वेती। यह सच है कि मैं हिंदी नहीं जानता, ये सच है कि जितना मैं जानता हूं, वह काफी नहीं है। लेकिन यह भी सच है कि मैंने गर्व के साथ इस सनातन धर्म को अपनाया है।

मुझे गर्व है कि मैं कुछ ऐसे लोगों के साथ हूं, एक ऐसे वक्त में और ऐसी धरती पर जहां भगवान की व्याख्या शायद अनगिनत तरीकों, नामों और परिभाषाओं के जरिए की जा सकती है। इन सभी में सबसे अच्छी बात तो यह है कि इन सभी तरीकों, नामों और परिभाषाओं को मानने वाले और आदर करने वाले सैकड़ों लोग हैं। मुझे गर्व कि मैं पिछले 23 बरसों से इंडिया आता रहा हूं। मैं इलाहाबाद का दूसरा कुंभ देख रहा हूं।

यहां आकर मुझे पता चला कि मोक्ष सिर्फ जीवन और मृत्यु के जाल से छुटकारा नहीं है, बल्कि मोक्ष है शुद्घि, आत्मशुद्घि, आत्मशांति और आत्मवृद्घि। कुंभ में आकर, यहां के लोगों को देखकर, प्रमुख स्नान पर्वों के दौरान लोगों की श्रद्घा को देखकर मुझे यही लगा कि यह कुंभ दुनिया का एकमात्र ऐसा आयोजन है जहां बिन बुलाए लोग खिंचे चले आते हैं। संगम परिक्रमा के समय नए-पुराने चेहरों को देखना, बड़े-बूढ़ों, युवा व बच्चों में भक्ति के प्रति लगाव को देखना, अपने आप में शायद यहीं संभव है। मैं इटली से आया हूं और 1989 में कृष्ण भक्ति के लिए अपने आप को समर्पित कर चुका हूं। दुनिया भर में घूमता हूं लेकिन ऐसा आकर्षण मोक्ष के लिए, आध्यात्मिक शांति के लिए कहीं और देखने को नहीं मिला।

सनातन धर्म के इतने स्वरूपों, अखाड़ों की महत्ता, नागा साधुओं का वेश और इसमें नई तकनीकों का समावेश अपने आप में अद्भुत है। प्रचार के लिए फेसबुक, ट्विटर और ब्लॉग पर लगातार आते लेख दिखाते हैं कि पूरी दुनिया की नजर इस समय इलाहाबाद के कुंभ पर टिकी है। यहां कुंभ नगरी में विचरते हुए लोगों – जिनमें साधु, संत, संन्यासी और आम जनता भी शामिल है, को देखकर लगता है कि सभी उसी मोक्ष, उसी भगवान की चाहत में घूम रहे हैं जिसे पाने की कामना लेकर मैं और मेरे जैसे दूसरे विदेशी यहां आते हैं।