मैया ओढ़ चुनरिया लाल,
के बैठी कर सोलह श्रृंगार,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे ॥लाल चुनरियाँ चम चम चमके,
रोली को टीको दम दम दमके,
थारे हाथ मेहंदी लाल,
के बैठी कर सोलह श्रृंगार,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे ॥
के बैठी कर सोलह श्रृंगार,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे ॥लाल चुनरियाँ चम चम चमके,
रोली को टीको दम दम दमके,
थारे हाथ मेहंदी लाल,
के बैठी कर सोलह श्रृंगार,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे ॥
पगल्या री पायल छम छम छमके,
हाथां रो चुड़लो खन खन खनके,
थारे गल हीरा को हार,
के बैठी कर सोलह श्रृंगार,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे ॥
खोल खजानो बैठी मेरी मईया,
जो चाहे सो मांग लो भईया,
म्हारी मईया लखदातार,
के बैठी कर सोलह श्रृंगार,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे ॥
मैया ओढ़ चुनरिया लाल,
के बैठी कर सोलह श्रृंगार,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी सोणी लागे ॥
दुर्गा चालीसा | आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी | आरती: अम्बे तू है जगदम्बे काली | महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् | माता के भजन