म्हापे जद भी मुसीबत, कोई आवन लागे: भजन (Mhape Jad Bhi Musibat Koi Aavan Laage)

म्हापे जद भी मुसीबत,
कोई आवन लागे,
कोई आवन लागे,
म्हारे सिर के ऊपर,
चुनड़ी लेहरावन लागे ॥जद नैया हिचकोले खावे,
माँ थारी चुनड़ लहरावे,
अपने आप ही भवर में,
नैया चालन लागे,
नैया चालन लागे,
म्हारे सिर के ऊपर,
चुनड़ी लेहरावन लागे ॥

लाज भगत की जावन लागे,
चुनड़ी मैया की लहरावण लागे,
थारी चुनड़ी माँ लाज ने,
बचावण लागे,
माँ बचावण लागे,
म्हारे सिर के ऊपर,
चुनड़ी लेहरावन लागे ॥

जद जद म्हारो मन घबरावे,
माँ थारी चुनड़ लहरावे,
हाथों हाथ ही यो बेटो,
मुस्कावन लागे,
मुस्कावन लागे,
म्हारे सिर के ऊपर,
चुनड़ी लेहरावन लागे ॥

जद जद मैया म्हासु रूठे,
‘बनवारी’ कुछ और ना सूझे,
थारा बेटा थाने चुनरी,
उड़ावन लागे,
उड़ावन लागे,
म्हारे सिर के ऊपर,
चुनड़ी लेहरावन लागे ॥

म्हापे जद भी मुसीबत,
कोई आवन लागे,
कोई आवन लागे,
म्हारे सिर के ऊपर,
चुनड़ी लेहरावन लागे ॥

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