यहीं हुई थी राम सीता की शादी, विवाह मंडप और 7 खास स्थान भी देखें

जानकी मंदिर

पौराणिक कहानियों में बताया गया है कि जनकपुरी में राम-सीता का विवाह हुआ था। जहां बाद में जानकी मंदिर बना दिया गया जनकपुर आज भारत और नेपाल के अलावा दुनिया के अलग-अलग देशों में फैले हिंदुओं के लिए अहम तीर्थस्थलल में बदल चुका है।

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राम मंदिर, जनकपुर

राम मंदिर, जनकपुर

राम मंदिर यहां के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है, जिसे गोरखा जनरल अमर सिंह थापा ने 1700 साल पहले बनवाया था। यहां राम नवमी और दशहरे पर भारी संख्या में भक्‍तों का तांता लगा रहता है।

राम सीता विवाह मंडप

राम सीता विवाह मंडप

यह वह स्‍थान है जहां राम और सीता जी का विवाह संपन्‍न कराया गया था। विवाह पंचमी के दिन यहां बने मंदिर में हजारों भक्‍त आकर माता सीता से आशीर्वाद प्राप्‍त करते हैं। यह मंडप प्राचीन काल की वास्‍तु कला का बेहतरीन नमूना पेश करता है।

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दोलखा भीमसेन मंदिर

दोलखा भीमसेन मंदिर

यह मंदिर मुख्‍य शहर जनकपुर से करीब 107 किमी दूर स्थित है और भीम को समर्पित करते हुए बनाया गया है। महाभारत के पात्रों में से एक पांडवों में भीम युधिष्ठिर से छोटे दूसरे नंबर के पाडंव थे। इस मंदिर की खास बात यह है कि इस पर छत नहीं है। यहां भीम के अलावा मां भगवती, और भगवान शिव की प्रतिमा भी स्‍थापित हैं।

धनुषधाम मंदिर

धनुषधाम मंदिर

यह जनकरपुर से 40 किमी दूर स्थित है, जिसे धनुष सागर के नाम से जाना जाता है। मान्‍यता है कि जब भगवान राम ने शिव जी के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई वह तीन टुकड़ों में टूट गया। इस धनुष का एक हिस्सा उड़कर स्वर्ग पहुंचा। दूसरा हिस्सा पाताल में जा गिरा, जिसके ठीक ऊपर विशाल धनुष सागर है और तीसरा हिस्सा यहां जनकपुर के पास आ गिरा। जिसे आज धनुषधाम मंदिर के नाम से जाना जाता है।

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रत्‍ना सागर मंदिर

रत्‍ना सागर मंदिर

प्राचीन स्‍थल लुम्बिनी में स्थित यह मंदिर भगवान और सीता माता को समर्पित है। यह विशाल मंदिर चारों ओर से खूबसूरत बगीचे और ए‍क पवित्र जलस्रोत रत्‍ना सागर से घिरा हुआ है। इसलिए इस मंदिर का नाम रत्‍ना सागर मंदिर रखा गया है। लुंबिनी असल में गौतम बुद्ध की जन्म स्थली है। यह स्थान बौद्ध धर्म का प्रमुख स्थल है।

गंगा सागर, जनकपुर

गंगा सागर, जनकपुर

यह विशाल और पवित्र झील गंगा सागर जनकमहल के करीब स्थित है। धनुष सागर और रत्‍ना सागर के अलावा यह पवित्र जलस्रोत मानी जाती है। इसके निकट ही 70 साल पुराना पुस्‍कालय स्थित है। यहां दूर-दूर से लोग आते हैं।