रामायण का महाज्ञानः इन 4 से दूर रहने में ही समझदारी, करा सकते हैं बड़ा नुकसान

सेवक सठ यानी मूर्ख सेवक

सेवक सठ नृप कृपन कुनारी।
कपटी मित्र सूल सम चारी।।

रामायण की इस चौपाई के माध्‍यम से यह समझाया गया है कि सेवक सठ यानी कि मूर्ख सेवक से दूर रहें। ये आपको हानि पहुंचा सकते हैं। इसका आशय यह है कि मूर्ख को इस बात की जानकारी नहीं होती कि उसे कब क्‍या और कैसे बात करनी है? ऐसी स्थिति में वह आपकी बातों को कहीं भी किसी पर भी और कभी भी जाहिर कर सकता है। इससे आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है इसीलिए ऐसे व्‍यक्तियों से दूरी बनाए रखने में ही लाभ है।

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नृप कृपन यानी कंजूस राजा

रामायण में नृप कृपन यानी कि कंजूस राजा से भी दूरी बनाए रखने की नसीहत दी गई है। इसका आशय यह है कि कंजूस व्‍यक्ति बड़ी से बड़ी परेशानी में भी धन बचाने का यत्‍न करता है। उसे इस बात की परवाह नहीं होती कि धन बचाने से उसे कितनी बड़ी क्षति होगी। वह केवल धन खर्च न हो, इसकी ही जुगत में लगा रहता है। तो ऐसे राजा से भी दूरी बनानी चाहिए। अन्‍यथा जरूरत पड़ने पर यह आपको धोखा ही देंगे।

कुनारी का यह अर्थ

कुनारी से दूरी बनाने के पीछे तर्क ऐसी नारी से है, जिन्‍हें अपने कुल की मर्यादा और सम्‍मान का ख्‍याल नहीं रहता। तो ऐसी स्‍त्री से भी दूर रहना चाहिए क्‍योंकि ये केवल अपने ही बारे में यानी कि अपनी सुख-सुविधा का ही ध्‍यान रखती हैं। अगर आप किसी ऐसी स्‍त्री के साथ संबंध रखते हैं तो वह केवल अपने सुख-स‍ुविधाओं के लिए आपका साथ देगी लेकिन कोई परेशानी आई तो तुरंत ही साथ छोड़ कर चली जाएगी। तो रामायण ऐसी स्त्रियों से दूरी बनाए रखने की बात कहती है।

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कपटी मित्र यानी धोखेबाज मित्र

जो सुख हो या दु:ख दोनों ही स्थितियों में आपके साथ समान व्‍यवहार रखता हो, आपका साथ देता हो, वही सच्‍चा मित्र होता है। वहीं जो मित्र सुख में साथ रहते हैं लेकिन किसी भी तरह की परेशानी या फिर दु:ख आते ही साथ छोड़ देते हैं तो ऐसे मित्रों को कपटी मित्र की संज्ञा दी गई है। इनसे दूरी बनाए रखनींं चाहिए। अन्‍यथा ये आपको और भी ज्‍यादा तकलीफ में डाल सकते हैं।

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