रावण दहन की जली हुईं लकड़ियां घर लाने से पहले हर किसी को जान लेनी चाहिए ये 4 बातें

दशहरे पर रावण दहन के बाद लोग रावण जलने तक इंतजार करते हैं। इसके पीछे कई लोगों का मकसद होता है जले हुए रावण की लकड़ियों को घर पर लेकर आना। असल में बीते सालों से लोगों के बीच यह अंधविश्वास चल रहा है कि रावण दहन के बाद उसकी बची और जली हुई लकड़ियों को घर में लाने से वास्तु समस्याएं दूर होती हैं और जीवन में तरक्की होने लगती है। आप भी अगर इस धारणा का अनुसरण कर रहे हैं, तो आपको यह पूरा लेख जरूर पढ़ना चाहिए। आइए, जानते हैं कि दशहरे पर रावण दहन के बाद बची हुई लकड़ियों को घर में लाना चाहिए या नहीं।

रावण दहन के बाद उसकी राख या बची लकड़ियां घर पर न लाएं

बहुत से लोग मानते हैं कि रावण दहन के बाद उसकी राख या बची हुईं जली लकड़ियां घर में लाने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है लेकिन यह बात कहीं से भी सही नहीं है क्योंकि रावण दहन का मतलब है कि प्रतीकात्मक रूप से रावण की चिता और रावण को जलाना। इसका अर्थ यह हुआ कि रावण की चिता में सभी नकारात्मकता को जलाकर मार देना। ऐसे में जरा सोचिए! अगर आप किसी की चिता से कोई चीज उठाकर घर पर लाते हैं, तो इसे शुभ कैसे माना जा सकता है।

रावण दहन की लकड़ियां या राख कभी घर में न रखें

रावण दहन की लकड़ियां या राख को कभी भी घर पर नहीं रखना चाहिए क्योंकि इसे रावण की हड्डियां और चिता की राख माना जाता है। इसे घर में रखने से रावण जैसी नकारात्मकता भी आपके जीवन में घर करने लगती है। हिन्दू धर्म में किसी मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार किया जाता है। चिता की राख को गंगा में विसर्जित कर दिया जाता है। जिससे मनुष्य का शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाए। इसी तरह रावण दहन की बची लकड़ियां या राख को घर में सहेजकर नहीं रखना चाहिए, बल्कि राख स्वंय ही हवा में विलीन हो जाती है।

रावण दहन के बाद जली हुई लकड़ियां घर में क्यों नहीं लानी चाहिए

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आप अगर रावण दहन के बाद जली हुई लकड़ियां या राख घर में लाते हैं, तो इससे आपके घर में नकारात्मकता का वास होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में दहन की बची लकड़ियां या राख रखने से घर की सुख-शांति में बाधा उत्पन्न होने लगती है। साथ ही घर में छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा भी होने लग जाता है इसलिए कभी भी रावण दहन की राख य लकड़ियां घर में लेकर न आएं।

रावण दहन के बाद क्या करें

आप अगर अपने घर में शांति और खुशहाली का वास चाहते हैं, तो आपको रावण दहन के बाद हाथ जोड़कर प्रभु श्रीराम को नमन करके कहना चाहिए कि जिस तरह उन्होंने रावण नाम नकारात्मक शक्ति का अंत किया, उसी तरह हम सभी की नकरात्मकताओं का अंत करके हमें बेहतर मनुष्य बनने की तरफ प्रेरित करें। इसके साथ ही आप रावण दहन के बाद राम मंदिर और हनुमान मंदिर में जाकर विजयादशमी का दीपक जलाएं।