वाराणसी: मंदिरों और घाटों का शहर

विश्वनाथ मंदिर, दुर्गाकुण्ड, संकटमोचन, मानस मंदिर एवं नया विश्वनाथ मंदिर शामिल हैं। गंगा नदी के किनारे बसे बनारस की संस्कृति से इस नदी का गहरा संबंध है। बनारस उत्तर भारत का सांस्कृतिक केन्द्र है तथा साहित्य, संगीत और कला के क्षेत्र में गहरी पैठ रखता है। इस शहर को कई उपनाम भी मिले हैं, जैसे- ‘मंदिरों का शहर’, ‘भारत की पवित्र नगरी’, ‘भारत की धार्मिक राजधानी’ आदि। सारनाथ, जहां गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, बनारस के पास ही स्थित है।

कैसे पहुंचे?
रेलमार्ग:
बनारस देश के बाकी शहरों से रेलमार्ग के द्बारा जुड़ा हुआ है। यहां से आप आसानी से दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता, चेन्नै, मुंबई और अन्य प्रमुख शहरों से आने-जाने के लिए रेलगाड़ी का विकल्प चुन सकते हैं।

वायुमार्ग:
वाराणसी का लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा इसे देश और दुनिया के काफी शहरों से जोड़ता है। यहां से भारत में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद तथा अन्य शहरों के लिए तथा विदेश में काठमांडू, कोलंबो, बैंकॉक तथा शारजाह के लिए फ्लाइट उपलब्ध हैं।

सड़कमार्ग:
वारणसी सड़कों के द्वारा भी देश के कई शहरों से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 44 वाराणसी और कन्याकुमारी को जोड़ता है तथा देश का सबसे लंबा राजमार्ग है। इस राजमार्ग पर पड़ने वाले प्रमुख शहर रीवा, जबलपुर, नागपुर, हैदराबाद, बेंगलुरु तथा मदुरै हैं। इलाहाबाद (120 किमी), गोरखपुर (165 किमी), लखनऊ (270 किमी) तथा पटना (215 किमी) जैसे शहर भी बनारस से ज्यादा दूर नहीं हैं।

प्रसिद्ध मंदिर और घाट

काशी विश्वनाथ मंदिर: यह हिन्दुओं का एक पवित्र तीर्थस्थल है। काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शंकर को समर्पित है तथा 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि इस एक ज्योतिर्लिंग के दर्शन से मिलने वाला पुण्य अन्य सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से मिलने वाले सम्मिलित पुण्य पर भी भारी पड़ता है। श्रावण मास में इस मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।

तुलसी मानस मंदिर: यह बनारस के दर्शनीय स्थलों में से एक है। इस मंदिर की दीवारों पर श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों को खूबसूरती के साथ उकेरा गया है।

दुर्गाकुंड मंदिर: यह मंदिर तुलसी मानस मंदिर के पास ही स्थित है और शहर के सबसे प्राचीन तथा प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।

संकटमोचन मंदिर: यह मंदिर हिंदू देवता हनुमान को समर्पित है। मंगलवार और शनिवार के दिन यहां भक्तों की काफी भीड़ होती है। यहां समय-समय पर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते रहते हैं।

दशाश्वमेध घाट: यह बनारस का सबसे महत्वपूर्ण घाट है। यहां रोज शाम को होने वाली गंगा आरती को देखने के लिए देश-विदेश के हजारों लोग एकत्र होते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिन्दू देवता ब्रम्हा ने यहां अश्वमेध यज्ञ किया था तथा दस अश्वों की आहुति दी थी।

अस्सी घाट: यह भी बनारस के सबसे प्रसिद्ध घाटों में से एक है। आप यहां हमेशा ही देशी-विदेशी पर्यटकों को देख सकते हैं।

हरिश्चन्द्र घाट: यह एक श्मशान घाट है। ऐसा माना जाता है कि अपना राज्य दान में दे देने के बाद राजा हरिश्चन्द्र ने यहीं पर डोम राजा के यहां नौकरी की थी।

वाराणसी अपने आप में एक अनूठा शहर है। यहां की सुबह तो वैसे भी सारी दुनिया में मशहूर है। देश-विदेश के बाकी शहरों से अच्छा सम्पर्क इसे पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की पहली पसंद बनाता है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार, जो मनुष्य काशी में देहत्याग करता है सीधे मोक्ष को प्राप्त होता है। ईश्वर में आपकी आस्था भले हो न हो, लेकिन इस शहर की सुबह, यहां के घाट और मंदिरों को देखने के लिए यहां जाया जा सकता है।