विदेश स्थित इन शक्तिपीठों के बारे में जानते हैं आप, यहां गिरी थी मां सती की नाक, घुटने और पायल

भगवती शिवा ने राजा दक्ष को वरदान दिया था कि वह उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेंगी। तब यह भी कहा कि जब आपका आदर मेरे प्रति कम हो जाएगा तब अपने शरीर को त्याग दूंगी। भगवती शिवा ने सती के रूप में दक्ष की पुत्री के रूप में जन्म लिया। घोर तपस्या करके भगवान शिव को वर के रूप में पाया। एक यज्ञ में दक्ष द्वारा भगवान शिव के अनादर पर सती ने योगाग्नि से अपने शरीर को भस्म कर डाला। तंत्र चूड़ामणि के अनुसार, देवी सती के शरीर के 52 टुकड़े हुए, जो अलग-अगल जगहों पर गिरे। ये जगह शक्तिपीठ कहलाए। इनमें से 42 शक्तिपीठ भारत में और 10 शक्तिपीठ पड़ोस के 5 देशों में हैं। इन देवी पीठों के दर्शन करना बड़े ही सौभाग्य की बात मानी जाती है।

बांग्लादेश में कुल पांच शक्तिपीठ हैं

सुगंधा शक्तिपीठ

यह शक्तिपीठ सुनंदा नदी के तट पर है। मान्यता है कि यहां माता सती की नाक गिरी थी। यहां माता सती देवी सुगंधा के रूप में शिव त्र्यम्बक के साथ वास करती हैं।

चट्टल भवानी

यह शक्तिपीठ चिट्टागोंग जिले में सीता कुंड स्टेशन के पास चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल में है। यहां माता सती की दाईं भुजा गिरी थी। यहां मां के भवानी स्वरूप की पूजा होती है।

श्रीशैल महालक्ष्मी

यह शक्तिपीठ सिलहट जिले में शैल नाम के स्थान पर है। यहां माता सती का गला गिरा था। यहां माता के महालक्ष्मी स्वरूप की उपासना की जाती है।

यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ
खुलना जिले में य़शोरेश्वरी माता का शक्तिपीठ है। इस स्थान पर माता की बाईं हथेली गिरी थी।

अपर्णा शक्तिपीठ

यह शक्तिपीठ बांग्लादेश में भवानीपुर गांव में है। यहां माता सती के बाएं पैर की पायल गिरी थी।

नेपाल में हैं दो शक्तिपीठ

गुहेश्वरी शक्तिपीठ

यह शक्तिपीठ पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर बागमती नदी के किनारे है। यहां मां के दोनों घुटने गिरे थे। यहां शक्ति के महामाया रूप और भगवान शिव के भैरव कपाल रूप की पूजा होती है।

आद्या शक्तिपीठ

यहां गंडक नदी के पास आद्या शक्तिपीठ है। मान्यता है कि यहां माता सती का बायां गाल गिरा था। यहां माता के गंडकी स्वरूप की पूजा होती है।

हिंगुला शक्तिपीठ, पाकिस्तान

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगुला शक्तिपीठ है। यहां हिंगलाज देवी की पूजा की जाती है। यहां माता सती का सिर गिरा था। इस प्रसिद्ध शक्तिपीठ को नानी का मंदिर या नानी का हज भी कहते हैं।

मनसा शक्तिपीठ, तिब्बत

तिब्बत में मानसरोवर नदी के तट पर मनसा देवी शक्तिपीठ है। माना जाता है कि यहां माता सती की दाईं हथेली गिरी थी।

इंद्राक्षी शक्तिपीठ, श्रीलंका

श्रीलंका में देवी सती का प्रसिद्ध इंद्राक्षी शक्तिपीठ है। इस जगह पर माता सती की पायल गिरी थी। जाफना नल्लूर में माता को इंद्राक्षी नाम से पुकारा जाता है।