वेलेंटाइन डे आने वाला है और उससे पहले प्यार और रिलेशनशिप जैसी चीजों पर चर्चा काफी तेज हो जाती है। सही मायने में प्यार वह अहसास है जो व्यक्ति के जीवन को खुशियों से भर देता है। प्यार के बिना हर व्यक्ति के जीवन में अधूरापन रहता है। आइए जानते हैं प्यार के बारे में आध्यात्मिक गुरु आचार्य रजनीश ओशो का क्या कहना है।
किसी से प्यार करना दुनिया का सबसे प्यारा अहसास है। वहीं दूसरी ओर प्यार में ब्रेक हो जाने से बुरा दुनिया में कुछ भी नहीं होता। दरअसल प्यार कोई रिलेशनशिप नहीं है, बल्कि एक विशेष अवस्था है। कोई व्यक्ति जब किसी से प्यार करता है तो वह प्यार में नहीं होता, बल्कि वह स्वयं ही प्यार होता है। जब भी मैं प्यार के बारे में बात करता हूं, ध्यान रखें कि मैं प्यार की अवस्था के बारे में बात कर रहा हूं। प्यार में कोई भी रिलेशनशिप अच्छी है। प्यार में सब कुछ अच्छा है। लेकिन ऐसे रिलेशनशिप झूठे साबित होते हैं, जहां प्यार की अवस्था के बारे में नहीं सोचा जाता। ऐसा होने पर प्यार केवल एक दिखावा बनकर रह जाता है। सिर्फ दिखावा नहीं बल्कि खतरनाक दिखावा। ऐसे प्यार से आप केवल मूर्ख ही बनते हैं और दूसरे को भी मूर्ख बनाते हैं, खुशियां नहीं हासिल कर सकते।
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सही मायने में प्यार का होना आपके मस्तिष्क की विशेष अवस्था है। व्यक्ति प्यार में नहीं होता, बल्कि वह खुद ही प्यार होता है। व्यक्ति जब प्यार में होता है तब वह शांत हो जाता है। वह शांति का एक गीत होता है। भगवान बुद्ध प्यार थे, जीसस प्यार थे। वह किसी व्यक्ति विशेष से प्यार नहीं करते थे, बस प्यार करते थे। वह चारों तरफ केवल प्रेम का प्रकाश फैलाते थे। जो भी व्यक्ति भगवान बुद्ध के करीब जाता था, वह उनके इस प्रेम के अहसास को महसूस कर सकता था। वह व्यक्ति उनके प्रेम का स्नान कर सकता था। ऐसा प्रेम जिसमें कोई शर्त और नियति नहीं थी।
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प्यार में कोई शर्त नहीं होती, कोई सवाल और कोई जवाब नहीं होता। प्यार कभी नहीं कहता कि इन बातों को मानो तब मैं आपसे प्यार करूंगा। प्यार सांस लेने की प्रक्रिया की तरह है, जब ये होता है तो आप इसको केवल महसूस कर सकते हैं।
इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके नजदीक कौन है, पापी या फिर पुण्यात्मा। जब आप प्यार में होते हैं और कोई आपके करीब आता है तो प्यार की तरंगें उसका मन भी खुशियों से भर देती हैं। प्यार बिना किसी शर्त किसी को देने की प्रक्रिया के जैसा है।