ग्राहम बोले, ‘छह मील दूर एक किसान रहता है। उसके पास किरखम के व्याकरण की किताब है। शायद वह तुम्हें दे दे।’ लिंकन फुर्ती से उठे और ग्राहम से विदा लेते हुए बोले, ‘अच्छा चलता हूं।’ ग्राहम हैरान रह गए। उन्होंने कहा, ‘अरे कहां चलते हो? बैठो, कुछ बातें करते हैं।’ लिंकन ने मुस्कराते हुए कहा, ‘सर, मैं अभी व्याकरण की पुस्तक लेने के लिए उस किसान के पास जा रहा हूं।’ ग्राहम ने सोचा भी नहीं था कि अब्राहम पुस्तक के लिए इतना बेचैन हो उठेगा। उन्होंने कहा, ‘अरे ऐसी भी क्या जल्दी है। चले जाना बाद में।’ अब्राहम ने कहा, ‘सर, एक-एक सेकंड में इतिहास बदल जाता है।’
अपने गुरु से विदा लेकर लिंकन किसान के घर की तरफ चल पड़े। उन्होंने किसान के घर का दरवाजा खटखटाते हुए कहा, ‘मैं किरखम के व्याकरण की पुस्तक लेने के लिए छह मील पैदल चलकर आया हूं, कृपया आप मुझे वह किताब दें।’ किसान चौंक उठा। लिंकन को व्याकरण की वह किताब थमाते हुए किसान बोला, ‘यह पुस्तक तो बहुत मूल्यवान है, किसी को नहीं देता। पर इसका तुमसे अच्छा हकदार कोई नहीं हो सकता।’ अपने इसी जज्बे के बल पर अब्राहम लिंकन ने न केवल व्याकरण पर अपनी पकड़ मजबूत बनाई बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति पद तक पहुंचे और इतिहास में अपना ऊंचा स्थान सुनिश्चित किया।– संकलन : रेनू सैनी