शंकर चौड़ा रे – भजन (Shankar Chaura Re)

शंकर चौड़ा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे ॥माथे उनके बिंदिया सोहे,
टिकली की बलिहारी राम,
सिंदूर लगा रही रे,
मांग में सिंदूर लगा रही रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे,
शंकर चौरा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे ॥

कान में उनके कुण्डल सोहे,
नथनी की बलिहारी राम,
हरवा पहन रही है,
गले में हरवा पहन रही है,
सिंगार माई कर रही सोला रे,
शंकर चौरा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे ॥

हाथों उनके कंगना सोहे,
चूड़ी की बलिहारी राम,
मुंदरी पहन रही रे,
हाथ में मुंदरी पहन रही रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे,
शंकर चौरा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे ॥

कमर उनके करधन सोहे,
झूलों की बलिहारी राम,
कुछ ना पहन रही रे,
कमर में कुछ ना पहन रही रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे,
शंकर चौरा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे ॥

पाँव में उनके पायल सोहे,
बिछिया की बलिहारी राम,
महावर लगा रही रे,
पाँव में महावर लगा रही रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे,
शंकर चौरा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे ॥

अंग में उनके चोला सोहे,
घगरा की बलिहारी राम,
चुनरी ओढ़ रही रे,
लाल रंग चुनरी ओढ़ रही रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे,
शंकर चौरा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे ॥

शंकर चौड़ा रे,
महामाई कर रही सोला रे,
सिंगार माई कर रही सोला रे ॥

दुर्गा चालीसा | आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी | आरती: अम्बे तू है जगदम्बे काली | महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् | माता के भजन