उसी चोर का उस रानी के घर मे जाना हुआ रानी ने देखा के चोर आया है।
उधर सिपाहियों ने भी देख लिया के कोई आदमी गया है रानी के पास तो राजा को बताया राजा बोला मैं छुप-छुप के देखूंगा
अब राजा छुप छुप के देखने लगा।
रानी बोली चोर को कि तुम किस पे आये हो चोर बोला ऊंट पे तो रानी बोली की तुम्हारे पास जितने भी ऊंट हैं मैं सबको सोने चांदी से भरवां दूंगी बस मेरी इच्छा पुरी कर दो।
तो चोर को अपने गुरु का पर्ण याद आ गया बोला नहीं जी आप तो मेरी माता हो जो पुत्र के लायक वाली इच्छा हो तो बताओ और दूसरी इच्छा मेरे बस की नहीं है।
राजा ने सोचा वाह चोर होके इतना ईमानदार राजा ने उसको पकड़ लिया और महल ले गया बोला म तेरी ईमानदारी से खुश हुँ तू वर मांग
चोर बोला जी आप दोगे पक्का वादा करो राजा बोला हाँ मांग
चोर बोला मेरी मा को जिसको आपने दुहागण कर रखा है उसको फिर से सुहागन कर दो
राजा बड़ा खुश हुआ उसने रानी को बुलाया और बोला रानी मने तुझे भी बड़ा दुख दिया है तू भी मांग ले कुछ भी आज तो
रानी बोली के पक्का वादा करो दयोगे और मोहर मार के लिख के दो के जो मांगूंगी वो दयोगे।
राजा ने लिख के मोहर मार दी।
रानी बोली राजा हमारे कोई औलाद नहीं है इस चोर को ही अपना बेटा मान लो और राजा बना दो।
अब सतसंगियों गुरु के एक वचन की पालना से राज दिला दिया।
अगर हमारा विस्वाश है तो दुनिया की कोई ताक़त नहीं जो हमें डिगा दे सतगुरु का खुटा अपने सिर पर रखो।