लोगों को अंगददेव के प्रति अपार श्रद्धा थी। फिर भी योगी की बात को सत्य मान उन्होंने अंगददेव को सारी बात बताकर नम्रतापूर्वक डेरा हटाने की प्रार्थना की। गुरुदेव ने कहा कि यदि उनके जाने के बारिश होती है, तो उन्हें गांव छोड़कर जाने में हर्ज ही क्या। वह दूसरे गांव में चले गए। उनके जाने के बाद भी जब वर्षा न हुई, तो लोगों को गुस्सा आया और तपा को तंग करने लगे कि बारिश क्यों नहीं हो रही है। उसने मंत्र-तंत्र का काफी सहारा लिया फिर भी बारिश नहीं हुई, तब लोगों ने उसे बुरा भला कहा।
गुरु अमरदास जब गुरु अंगददेव से मिलने गांव में आए, तो लोगों ने सारी हकीकत बताई। यह सुन अमरदासजी को क्रोध आया और उन्होंने कहा कि जहां-जहां बारिश चाहते हो, तपा को ले जाओ। अब तपा को खींचकर लोग दूसरे गांव ले गए। अंगददेव जी को जब यह बात पता चली तो उन्होंने गुरु अमरदास से कहा, अगर कोई बुराई करता है, तो हमें उसे नजरअंदाज कर देना चाहिए। हमें करामात से कोसों दूर रहना चाहिए। मालिक की रजा में ही हमें राजी होना चाहिए। इसलिए हमें मान-अपमान की परवाह न कर सबके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए।– संकलन : सुभाष चंद्र शर्मा