शीतकाल के छह माह के अवकाश के बाद उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित मां यमुना और मां गंगा के पवित्र स्थलों में चहल पहल शुरू हो जाएगी। उत्तराखंड के लिए चार धाम की यात्रा की महत्ता को इसी बात से समझा जा सकता है कि इस यात्रा से उत्तराखंड में कुल आबादी के तीस फीसदी लोगों की आजीविका चलती है।
अक्षय तृतीया से चारधाम यात्रा शुरू हो रही इसके लिए प्रशासन पूरी तरह से तैयार है। चारधाम यात्रियों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो इसके लिए प्रशासन और पुलिस विभाग ने कई तरह की तैयारियां की है।
18 अप्रैल को सुबह नौ बजकर 15 मिनट पर मां यमुना के शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली से मां यमुना की डोली रवाना होगी। यमुनोत्री धाम पहुंचकर बारह बजकर 15 मिनट पर ग्रीष्मकाल के लिए मां यमुना के कपाट खोल दिए जाएंगे।
दूसरी ओर मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा से 17 अप्रैल मंगलवार को ही ठीक 11.45 मिनट पर मां गंगा की शोभायात्रा रवाना हो चुकी है। शेाभा यात्रा मंगलवार की शाम भैरव घाटी में रात्रि विश्राम करेगी और 18 अप्रैल बुधवार को गंगोत्री धाम पहुंच जाएगी। यहां पहुँचकर 1बजकर15 मिनट पर पूजा अर्चना के बीच अभिजीत मुहूर्त में मां गंगा के कपाट खोल दिए जाएंगे।
2013 में आई आपदा के बाद हालात सामान्य होने में भले ही दो साल लग गए हों, लेकिन अब यात्रियों में गजब का उत्साह है। व्यापारियों को उम्मीद है कि इस बार यात्रा में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी होगी। हलांकि बदरीनाथ और केदारनाथ के कपाट खुलने में 2 हफ्ते का वक्त है इसलिए शुरुआत में यात्रियों की संख्या कम रह सकती है।