महाभारत कालीन करीब 5000 साल पुराने वृक्ष, कई राज छुपे हैं इनमें

महाभारत कालीन करीब 5000 साल पुराने वृक्ष, कई राज छुपे हैं इनमें

पारिजात वृक्ष बाराबंकी, कुंतेश्वर महादेव बाराबंकी के किंतूर गांव में स्‍थापित पारिजात का इतिहास माता कुंती और श्रीकृष्‍ण की पटरानी सत्‍यभामा से जुड़ा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पाण्‍डवों ने अपनी माता कुंती के साथ किंतूर के वन में ही निवास किया था। निवास के दौरान ही पाण्‍डवों ने वन में महादेव … Read more

अद्भुत मंदिर, बिजली चमकती है तो नजर आते हैं साक्षात राम

अद्भुत मंदिर, बिजली चमकती है तो नजर आते हैं साक्षात राम

इसलिए यह स्थान कहलाता है ‘रामटेक’ रामटेक किले के बारे में जानने से पहले आइए जानते हैं इस जगह के नाम के विषय में। कहते हैं प्रभु श्रीराम वनगमन के दौरान इस जगह पर चार माह व्‍यतीत किए थे। यानी कि वह टिके थे तो इसीलिए इस जगह का नाम रामटेक पड़ गया। इसके अलावा … Read more

जुड़वा हैं इस मंदिर की प्रतिमाएं, भगवान परशुराम और कुश ने की स्‍थापना, जानें इतिहास

जुड़वा हैं इस मंदिर की प्रतिमाएं, भगवान परशुराम और कुश ने की स्‍थापना, जानें इतिहास

भगवान परशुराम ने की थी मां दुर्गा की मूर्ति स्‍थापित मान्‍यता है कि भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि का आश्रम नवाबगंज के पास ही भितरेपार गांव में था। जहां पर वह तप किया करते थे। उनके पास एक कामधेनु गाय थी। जिसपर उस समय के राजा ने दान में मांगा। लेकिन जमदग्नि ने मना … Read more

अद्भुत: जब कुल्‍हाड़ी के प्रहार से देवी की मूर्ति पर हो गया घाव

अद्भुत: जब कुल्‍हाड़ी के प्रहार से देवी की मूर्ति पर हो गया घाव

शक्तिपीठ है मां संकटा देवी का यह मंदिर लालगंज क्षेत्र के गेगांसो में स्‍थापित संकटा देवी का मंदिर 16वें शक्तिपीठ के रूप में स्‍थापित है। स्‍थानीय नागरिकों से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार मंदिर की स्‍थापना 12 वीं शताब्‍दी में हुई थी। कथा मिलती है कि बैसवारा के क्षत्रिय राजा त्रिलोक चंद्र की कोई संतान नहीं … Read more

इस झील से स्वर्ग का रास्ता, जानें क्या है रहस्य

इस झील से स्वर्ग का रास्ता, जानें क्या है रहस्य

स्‍वर्ग जाने का है रास्‍ता ‘सतोपंथ झील’ सतोपंथ यानी कि सत्‍य का रास्‍ता। मान्‍यता है कि महाभारत काल में पांडव इसी रास्‍ते से स्‍वर्ग की ओर गए थे। यही वजह है कि इस झील का नाम सतोपंथ पड़ गया। इसके अलावा यह भी बताया जाता है कि जब पांडव स्‍वर्ग की ओर जा रहे थे … Read more

सिद्धिविनायक मंदिर से जुड़ी ये अनसुनी बातें जानते हैं आप

सिद्धिविनायक मंदिर से जुड़ी ये अनसुनी बातें जानते हैं आप

क्यों कहते है सिद्धिविनायक सिद्धिविनायक, भगवान गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है, जिसमें उनकी सूंड दाईं और मुडी होती है, जानकारी के अनुसार गणेश की ऐसी प्रतिमा वाले मंदिर सिद्धपीठ कहलाते हैं, और इसलिए उन्हें सिद्धिविनायक मंदिर की संज्ञा दी जाती है। माना जाता है सिद्धिविनायक सच्चे मन से मांगी गई भक्तों की मुराद … Read more

इन कारणों से ही उज्‍जैन को कहा जाता है स्‍वर्ग, आप भी जानिए

इन कारणों से ही उज्‍जैन को कहा जाता है स्‍वर्ग, आप भी जानिए

यहां साढ़े तीन काल हैं विराजमान उज्‍जैन ही एक मात्र ऐसी पवित्र भूमि हैं जहां पर साढ़े तीन काल एक साथ विराजमान हैं। इनमें महाकाल, कालभैरव, गढ़कालिका और अर्धकाल भैरव हैं। जिनकी स्‍थापना उज्‍जैन में हैं। इनकी पूजा का विशेष विधान है। साथ ही विधि और नियम का खास ख्‍याल रखा जाता है। यही नहीं … Read more

गजब है यह गांव, यहां जाने वाला हो जाता है मालामाल

गजब है यह गांव, यहां जाने वाला हो जाता है मालामाल

भगवान शिव से जुड़ी है यह कथा भारत का आखिरी गांव कहे जाने वाला माणा के इस शिव मंदिर के पीछे कथा मिलती है कि यहां पर भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्‍त था। उसका नाम था माणिक शाह। पेशे से वह व्‍यापारी था लेकिन हर पल हर क्षण वह मन ही मन भगवान शिव का … Read more

यहां बैल पर विराजती हैं मां, गजब है उत्‍तराखंड के कपकोट का ईश्‍वरी भगवती माता मंदिर

यहां बैल पर विराजती हैं मां, गजब है उत्‍तराखंड के कपकोट का ईश्‍वरी भगवती माता मंदिर

सरयू के तट पर बसा है उत्‍तराखंड का खूबसूरत सा गांव पनौरा। जहां स्‍थापित है मां भगवती का एक अद्भुत मंदिर। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्‍योंकि आज तक आपने जिन मंदिरों के दर्शन किये होंगे, उनमें मातारानी सदैव शेर पर विराजमान रहती हैं। लेकिन कपकोट के पनौरा गांव में स्थित इस मंदिर की बात … Read more

यहां हर छह महीने पर होती है मां भगवती की मूर्ति पुर्नस्‍थापित, अलौकिक है मंदिर

यहां हर छह महीने पर होती है मां भगवती की मूर्ति पुर्नस्‍थापित, अलौकिक है मंदिर

अलकनंदा और पिंडर नदी के संगम पर मंदिर कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर नदी के संगम पर स्थित है मां उमा देवी का मंदिर। यह पौराणिक मंदिर है। कई सारी मान्‍यताएं और परंपराएं जुड़ी हैं इस मंदिर से। मान्‍यता है कि मां उमा के इस मंदिर की स्‍थापना से ही इस तीर्थ स्‍थान का नाम … Read more