भिक्षु बोला मुझे जान से मारने वाले का उपकार मानूंगा

भिक्षु बोला मुझे जान से मारने वाले का उपकार मानूंगा

बुद्ध के संघ का विस्तार हो रहा था। उनसे प्रशिक्षित होकर बहुत सारे भिक्षु धर्म प्रचार करने निकल पड़े थे। सूना प्रांत ऐसा कठोर स्थान था कि वहां जाने को कोई भिक्षु तैयार ही न हो। एक दिन उनके शिष्य पूर्ण ने निवेदन किया कि वह धर्म प्रचार के लिए सूना प्रांत जाने की अनुमति … Read more

प्रसाद के लिए हनुमानजी ने इसलिए साधक को मारा थप्पड़, ऐसे दिए दर्शन

प्रसाद के लिए हनुमानजी ने इसलिए साधक को मारा थप्पड़, ऐसे दिए दर्शन

संकलन: हिमानी भट्टएक दिन एक साधक मुनि कपींद्र के पास गया और बोला, ‘मुनिवर, मैंने भक्ति तो बहुत कर ली, मगर अभी तक मुझे संकट मोचन महाराज के दर्शन नहीं हुए। आप मुझे कोई ऐसा मंत्र बताइए कि मुझे दर्शन हों।’ मुनि मुस्कुराए और बोले, ‘बेटा, यह बच्चों का खेल नहीं। बड़ा कठिन तप है।’ … Read more

‘मेरे पैर उधर घुमा दो, जिधर खुदा का घर न हो’

'मेरे पैर उधर घुमा दो, जिधर खुदा का घर न हो'

योगाचार्य सुरक्षित गोस्वामी गुरु नानक घूमते-घूमते मक्का-शरीफ पहुंचे। तब रात हो गई चुकी थी। नानकजी पास ही एक पेड़ के नीचे सो गए। जब सुबह उठे, तब उन्होंने अपने चारों ओर अनेक मुल्लाओं को खड़ा पाया। उनमें से एक ने नानकजी से बड़े गुस्से में पूछा, ‘तुम कौन हो/ जो खुदा पाक के घर की … Read more

जान‍िए क्‍या हुआ जब सरदार वल्‍लभ भाई पटेल चंदा इकट्ठा करने रंगून गए?

जान‍िए क्‍या हुआ जब सरदार वल्‍लभ भाई पटेल चंदा इकट्ठा करने रंगून गए?

एक बार सरदार वल्लभ भाई पटेल कांग्रेस के लिए फंड इकट्ठा करने रंगून गए। रंगून में उन्होंने सभी से चंदा मांगा और लोगों की प्रतिक्रिया भी काफी अच्छी रही। कांग्रेस को चंदा हर तबके के लोगों से मिल रहा था, लेकिन सरदार पटेल ने चीनी लोगों की एक विशेषता नोट की। जब भी कोई चीनी … Read more

14 साल तक लक्ष्मण ने नहीं किए ये 3 काम, तभी कर पाएं मेघनाद का वध

14 साल तक लक्ष्मण ने नहीं किए ये 3 काम, तभी कर पाएं मेघनाद का वध

ऋषि अगस्‍त्‍य ने ऐसा क्‍यों कहा भगवान श्रीराम और लक्ष्‍मण के अगाध प्रेम को तो सभी जानते हैं। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि एक बार भगवान राम के मन में भी अपने अनुज को लेकर शंका उठी। वह भी तब जब ऋषि अगस्‍त्‍य ने कहा कि रावण के पुत्र इंद्रजीत को स्‍वयं राम भी … Read more

Kumbhkaran Unknown Story : कुंभकर्ण के पूर्वजन्म का रहस्य, जानेंगे तो दंग रह जाएंगे

Kumbhkaran Unknown Story : कुंभकर्ण के पूर्वजन्म का रहस्य, जानेंगे तो दंग रह जाएंगे

कुंभकर्ण के भोजन से देवता भी घबराए रामायण का एक प्रमुख पात्र है कुंभकर्ण। रावण का यह भाई इतना विशाल और भयंकर था कि एक दिन में कई गांवों का भोजन अकेले खा जाता था। भूख शांत ना होने पर यह प्रजा को भी खा जाया करता था। ब्रह्माजी भी कुंभकर्ण की इस शक्ति से … Read more

गांधीजी के अनुसार डॉक्टर का कर्तव्य केवल दवाई देना नहीं, यह भी

गांधीजी के अनुसार डॉक्टर का कर्तव्य केवल दवाई देना नहीं, यह भी

संकलन : राधा नाचीज बीमार होने पर सेवाग्राम में अधिकतर लोग गांधीजी के पास प्राकृतिक चिकित्सा कराने आते थे। गांधीजी की प्राकृतिक चिकित्सा से अनेक मरीज स्वस्थ भी हुए थे। एक दिन एक वृद्ध महिला उनके पास आई और बोली, ‘बापूजी, मेरे शरीर में बहुत खारिश होती है। खारिश कर-करके बदन में घाव हो गए … Read more

कौन था बड़ा दानी कर्ण या अर्जुन, इस कहानी को पढ़कर खुद समझ जाएंगे

कौन था बड़ा दानी कर्ण या अर्जुन, इस कहानी को पढ़कर खुद समझ जाएंगे

एक बार श्रीकृष्ण से अर्जुन ने पूछा, ‘दान तो मैं भी बहुत करता हूं, परंतु सभी लोग कर्ण को ही सबसे बड़ा दानी क्यों कहते हैं?’ यह प्रश्न सुन श्रीकृष्ण मुस्कुराए। उन्होंने पास में ही स्थित दो पहाड़ियों को सोने का बना दिया। इसके बाद वह अर्जुन से बोले, ‘हे अर्जुन! इन दोनों सोने की … Read more

दूसरों का कष्‍ट समझाने के लिए राजा आदित्‍यदेव की अनोखी पहल, आप भी जानें रोचक किस्‍सा

दूसरों का कष्‍ट समझाने के लिए राजा आदित्‍यदेव की अनोखी पहल, आप भी जानें रोचक किस्‍सा

ललित नगरी के राजा आदित्यदेव ने प्रजा की परीक्षा लेने के लिए सुबह ही मार्ग में बड़ा पत्थर रखवा दिया। इस मार्ग से जो भी राहगीर निकलता, उसे बड़ी परेशानी होती, परंतु कोई भी उस पत्थर को हटाने का प्रयास नहीं कर रहा था। राज्य के मंत्री व सैनिक तथा राज्य के कारिंदे भी वहां … Read more

एक पैसे का हिसाब हुआ गड़बड़ तो रात भर जगकर करता रहा जोड़-घटाव

एक पैसे का हिसाब हुआ गड़बड़ तो रात भर जगकर करता रहा जोड़-घटाव

महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत एकनाथ के गुरु स्वामी जनार्दनजी ने एक दिन उनको आश्रम के हिसाब-किताब की जिम्मेदारी दे दी। गुरुजी के आदेश को गुरु सेवा समझ एकनाथ निष्ठापूर्वक आश्रम के नित्य-प्रतिदिन के काम में लगे रहते थे। उनकी कोशिश रहती थी कि आश्रम के सभी कार्य समयानुसार हो सकें और दान से मिला धन … Read more