भूतनाथ के द्वार पे जो भी, अपना शीष झुका देता है: भजन (Bhootnath Ke Dwar Pe Jo Bhi Apna Shish Jhuka Deta Hai)
भूतनाथ के द्वार पे जो भी, अपना शीष झुका देता है, चिंताओं की सारी लक़ीरें, चिंताओं की सारी लक़ीरें, बाबा भूतनाथ मिटा देता है ॥जमाने की ठोकरें, जो खाकर के हारा, वो इस दर पे आकर, ना रहता बेचारा, भूतनाथ से बढ़के ना कोई, देव है अलबेला, कोई देव है अलबेला, उम्मीदों को आशाओं को, … Read more