Chitragupt Aarti in Hindi : चित्रगुप्त महाराज की आरती, जय चित्रगुप्त हरे

Chitragupt Aarti in Hindi : चित्रगुप्‍त महाराज की पूजा कायस्‍थ समाज के लोग दीपावली के बाद यम द्वितीया के दिन करते हैं। मान्‍यता है कि चित्रगुप्त महाराज सभी के कर्मों का लेखाजोखा रखते हैं। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि चित्रगुप्त महाराज सृष्टि के न्‍यायाधीश कहलाते हैं और उनकी पूजा विधि विधान से करने पर आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है। चित्रगुप्‍त महाराज की पूजा उनकी आरती की जाती है, तभी उनकी पूजा संपूर्ण मानी जाती है। आइए जानते हैं चित्रगुप्त महाराज की आरती।

भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती
ओम जय चित्रगुप्त हरे, स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे,

विघ्न विनाशक मंगलकर्ता, सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक, त्रिभुवनयश छायी ॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत, पीताम्बरराजै।
मातु इरावती, दक्षिणा,वामअंग साजै ॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥

कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक, प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन, प्रकटभये स्वामी ॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
कलम, दवात, शंख, पत्रिका, करमें अति सोहै।
वैजयन्ती वनमाला, त्रिभुवनमन मोहै ॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥

विश्व न्याय का कार्य संभाला, ब्रम्हाहर्षाये।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे, चरणनमें धाये॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
नृप सुदास अरू भीष्म पितामह, यादतुम्हें कीन्हा।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं, इच्छितफल दीन्हा॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥

दारा, सुत, भगिनी, सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी, तुमतज मैं भर्ता ॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी, शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी ॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥

जो जन चित्रगुप्त जी की आरती, प्रेम सहित गावैं।
चौरासी से निश्चित छूटैं, इच्छित फल पावैं ॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी, पापपुण्य लिखते ।
‘नानक’ शरण तिहारे, आसन दूजी करते ॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे । भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे ॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥