Devaki Krishna Temple इकलौता ऐसा मंद‍िर जहां मइया देवकी के साथ पूजे जाते हैं यशोदा नंदन

कन्‍हैया के ठाठ हैं यहां, व‍िराजते हैं मइया के साथ

कन्‍हैया और श्रीराधारानी के मंद‍िर तो आपने बहुत देखे होंगे। लेक‍िन हम ज‍िस मंद‍िर की बात कर रहे हैं वहां कन्‍हैया अपनी मइया के साथ व‍िराजते हैं। जी हां यह भगवान श्रीकृष्ण का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां वे अपनी माता देवकी के साथ में विराजते हैं। तो आइए जानते हैं क‍ि ये मंद‍िर कहां हैं और क्‍या है इसकी व‍िशेषता?

देवकी कृष्‍ण रावलनाथ मंद‍िर के नाम से जानते हैं इसे

देवकी कृष्‍ण रावलनाथ मंद‍िर के नाम से जानते हैं इसे

हम ज‍िस मंद‍िर का ज‍िक्र कर रहे हैं वह पणजी कदंबा बस स्टैंड से 17 किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंद‍िर को देवकी कृष्‍ण रावलनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को पिस्सो रावलनाथ के नाम से भी जाना जाता है और इसकी खासियत यह है कि इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण बाल रूप में अपनी मां देवकी के साथ हैं। जबकि इसके अलावा देश में कोई ऐसा मंदिर नहीं हैं, जहां कान्‍हा देवकी माता के साथ विराजते हों।

सद‍ियों में भी जो बनना मु‍श्किल, मात्र 18 वर्षों में हो गया वैसे अकल्‍पनीय-अद्वितीय मंद‍िर का न‍िर्माण

1842 में दोबारा बना था देवकी कृष्‍ण मंद‍िर

1842 में दोबारा बना था देवकी कृष्‍ण मंद‍िर

देवकी कृष्ण का मूल मंदिर मंडोवी नदी में चोडन (चोराओ) द्वीप पर था लेकिन इसे पुर्तगाली शासकों ने नष्ट कर दिया गया था। यही कारण है कि ये मंदिर सामान्य हिंदू मंदिरों के बजाय या तो एक चर्च या एक मस्जिद या महल की तरह दिखते हैं। 1530 और 1540 ईस्वी के बीच पहले इस मंदिर को स्थानांतरित किया गया और फिर 1540 और 1567 के बीच मार्सेल में अपने वर्तमान स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया। पहले यहां बहुत ही छोटा सा मंदिर था और 1842 में मंदिर को फिर से बनाया गया।

मइया देवकी के साथ खड़े हैं यहां कृष्‍णा

मइया देवकी के साथ खड़े हैं यहां कृष्‍णा

देवकी कृष्‍ण मंदिर के गर्भगृह में माता देवकी और भगवान कृष्ण की प्रतिमा विराजित है। माता देवकी के पैरों के बीच बाल कृष्ण खड़ी मुद्रा में विराजित हैं। यह विशेष आसन अद्वितीय माना जाता है। श्रीकृष्ण और देवकी की प्रतिमांए काले पत्थर की हैं और इन्हें बहुत ही बारीकी से उकेरा गया है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्णक और माता देवकी के साथ ही भौमिका देवी,लक्ष्मी रावलनाथ,मल्लिनाथ,कात्यायनी और धाडा शंकर भी विराजमान हैं।

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