Dhanvantari Ji Ki Aarti: धन्वंतरिजी की आरती, जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा

Dhanvantari Bhagwan Ki Arti: आज धनतेरस के शुभ अवसर पर लोग सोने चांदी की खरीद करने के बाद भगवान धन्वंतरिजी की पूजा करते हैं और उनकी आरती करते हैं। कहते हैं धनतेरस के दिन धन्वंतरिजी भगवान की पूजा करने से आपके घर में सुख और संपन्नता के साथ आरोग्य की भी प्राप्ति होती है। आपके परिवार में आपसी प्रेम बढ़ता है। माता लक्ष्मी के साथ ही भगवान धन्वंतरिजी प्रसन्न होकर आपके पूरे परिवार को अच्छी सेहत प्रदान करते हैं। धनतेरस की पूजा में आप जो भी नई वस्तु खरीदकर घर लाएं, उसको भी पूजा में जरूर रखें।धनतेरस की पूजा करने से आपको सुख शांति और संपन्नता की प्राप्ति होती है। इसलिए धनतेरस की पूजा के बाद परिवार के साथ मिलकर भगवान धन्वंतरि की आरती करनी चाहिए, आइए मिलकर गाएं, धन्वंतरि आरती दोहा।

धन्वंतरिजी की आरती | Dhanvantari Ji Ki Aarti, जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।। जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए। देवासुर के संकट आकर दूर किए।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया। सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी। आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे। असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा। वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे। रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

दोहा :- मूक होइ बाचाल पंगु चढ़इ गिरिबर गहन। जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलिमल दहन।। बोलिए सब मिलकर भगवान धन्वंतरि महाराज की जय।