ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम।
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम।
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय।
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः।
कैसे करें धन्वंतरि स्त्रोत का जप धनतेरस की पूजा के लिए शाम के वक्त प्रदोष काल में उत्तर दिशा में लकड़ी की चौकी स्थापित करें। उस चौकी पर भगवान कुबेर, धन्वंतरी जी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। लक्ष्मी माता और कुबेरजी को सफेद बर्फी से भोग लगाने के बाद धन्वंतरी भगवान को पीली वस्तु से बनी मिठाई का भोग लगाएं। उसके बाद मां लक्ष्मीजी की आरती करें। फिर फिर धन्वंतरी स्तोत्र का पाठ करें। इस तरह आपकी धनतेरस की पूजा पूर्ण मानी जाएगी।