Diwali 2022: दिवाली पर गहने पाना है तो इस मंदिर में दर्शन करने जरूर आएं

Diwali 2022: दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश का पूजन किया जाता है। हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन और सुख-समृद्धि की देवी माना गया है। घरों और मंदिरों में तो हर रोज लेकिन दिवाली के मौके पर इनकी खास पूजा-अर्चना की जाती है। लक्ष्मी पूजन धनतेरस से शुरू हो जाता है और अमावस्या की शाम यानी दिवाली तक होता है। दिवाली के मौके पर हम आपको एक महालक्ष्मी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको दिवाली के दिन सोने-चांदी से सजाया जाता है। देवी लक्ष्मी के इस मंदिर दुनियाभर की करेंसी देखने को मिल जाएंगी। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां प्रसाद में भक्तों सोने-चांदी के गहने मिलते हैं। यह मंदिर मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में स्थित है, जिसे महालक्ष्मी मंदिर के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में…

करेंसी से सजाया जाता है मंदिर

मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में स्थित महालक्ष्मी के मंदिर को फूलों से नहीं बल्कि रुपए-पैसों से सजाया जाता है। आपने त्योहारों के मौके पर आज तक फूलों से सजे मंदिरों के बारे में सुना होगा, लेकिन माता का यह मंदिर सोने-चांदी और रुपए-पैसे से सजाया जाता है। मंदिर की दीवार और मां की मूर्ति की सजावट रुपए-पैसों से की जाती है। इसके अलावा मंदिर के प्रांगण में मौजूद झालर को नोटों की गड्डियों से सजाया जाता है।

सुरक्षा का रखा जाता है विशेष ध्यान

महालक्ष्मी के इस मंदिर को एक या दो लाख से नहीं बल्कि करोड़ों की करेंसी से सजाया जाता है और भक्त इन्हीं रुपए-पैसों के बीच से होकर माता के दर्शन करते हैं। अब जब मंदिर को करोड़ों की करेंसी से सजाया जाता है और माता के चरणों में चढ़ाए जा रहे हैं, तो मंदिर की सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जाता होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए यहां हर साल सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं। बताया जाता है कि जब मंदिर में माता लक्ष्मी की पूजा-पाठ चलती है तब तक मंदिर के चारों ओर पुलिस कड़ा पहरा देती है, ताकि मंदिर में कोई चोरी चकारी जैसी चीजें न हों।

प्रसाद के रूप में बंटते हैं गहने

माता के भक्त मंदिर में आकर करोड़ों रुपए के जेवर और नगदी चढ़ाते हैं। धनतेरस से दीपावली के त्यौहार हो जाती है। इस मंदिर में धनतेरस से लेकर पांच दिन तक दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है। दीपोत्सव के दौरान माता लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर का भी दरबार लगाया जाता है। दीपावली के दिन तो इस मंदिर के कपाट 24 घंटों के लिए खुले रहते हैं। बताया जाता है कि धनतेरस के दिन महिलाओं को यहां कुबेर की पोटली दी जाती है। इस मंदिर जो भी भक्त दर्शन करने के लिए आता है, उसे प्रसाद में नोट दिए जाते हैं। कई लोगों को तो प्रसाद के रूप में सोना-चांदी भी मिलता है।

महालक्ष्मी की होती है कृपा

माना जाता है कि प्राचीन काल में राजा-महाराजा सुख समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए मंदिर में पैसे के साथ आभूषण चढाने के लिए आया करते थे। उसके बाद ऐसा समझा जाने लगा कि मंदिर में पैसे या आभूषण चढ़ाने से घर में धन की कमी नहीं होती, तब से भक्त मंदिर में आभूषण और पैसे चढ़ाने लगे। मान्यता है कि ऐसा करने से रुपए-पैसे और जेवर में वृद्धि होती है और महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।