गणपति स्तुतिः
गजाननं भूतगणादि सेवितं कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम्
उमासुतं शोक विनाशकारणं नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम् ॥
गणपति राखो मेरी लाज
गणपति राखो मेरी लाज, गणपति राखो मेरी लाज।
पूरन कीजै मेरे काज, पूरन कीजै मेरे काज।।
गणपति राखो मेरी लाज।
तू भक्तों का प्यारा है सबका पालनहारा है।
भयहारी दुखहारी तू करता मूषक सवारी तू।।
तू ही विघ्न-विनाशक है दीनजनों का रक्षक है।
तेरा ही हम नाम जपें, तुझको हम प्रणाम करें।।
सदा रहे खुशहाल गणपति, लाल जो प्रथमें तुम्हे ध्यावे।
गौरी पुत्र प्यारे जगत से न्यारे वो तुझसे सब पावे।
तेरी दया का मैं मोहताज, तेरी दया का में मोहताज।
गणपति राखो मेरी लाज।।
हे शंभु के लाल प्रभु किरपाल में आया शरण तिहारी
हे गिरिजा के लाल प्रभु दिग्पाल तेरी है महिमा न्यारी
विनती सुनलो मेरी आज, विनती सुनलो मेरी आज।
गणपति राखो मेरी लाज।।