Durga Mata Ki Aarti : आरती मां दुर्गा की गावें, चरण कमल में शीश नवावें…

Durga Puja Aarti : मां दुर्गा बहुत ही करुणामय हैं, मां दुर्गा की पूजा से व्यक्ति में बल,पराक्रम, बुद्धि, विवेक और सिद्धि की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेती हैं। मान्यता है कि मां दुर्गा की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। साथ ही व्यक्ति की सभी तरह से कल्याण होता है। मां दुर्गा की पूजा करने के साथ साथ उनकी आरती भी जरुर करनी चाहिए। तभी आपकी पूजा संपूर्ण मानी जाएगी और पूजा का पूरा फल आपको मिलेगा। यहां पढ़ें मां दुर्गा की संपूर्ण आरती।

दुर्गा माता की आरती…

आरती मां दुर्गा की गावें। चरण कमल में शीश नवावें।
दिव्य प्रभा मां जग की माया, यह सब जग तेरी द्युतिछाया,
कण-कण में मां की छवि पावें। आरती मां दुर्गे की गावें।
मां के मस्तक मुकुट विराजे, मांग सिंदुर भाल शशि साजे,
रक्ताम्बर पट पर बलि जावें। आरती मां दुर्गे की गावें।

कर त्रिशूल केहरि पर सोहें, दुष्ट डरें मुनि जन मन मोहे,
मात उमा के चरण गहावें। आरती मां दुर्गे की गावें।
अष्टभुजा मां खप्पर वाली, दुर्गा जया त्रिनेत्र काली,
कितने मां के नाम गिनावें। आरती मां दुर्गे की गावें।
ब्रह्माणी रुद्राणी कमला, आगम निगम बखानी विमला,
सरस्वती मां को सिर नावें। आरती मां दुर्गे की गावें।

शुंभ-निशुंभ-महिष को मारा, चण्ड-मुण्ड धूम्राक्ष संहारा,
कितने माँ के सुयश सुनावें। आरती मां दुर्गे की गावें।
पट्टाम्बर परिधान निराले, गल मोतियन की माला डाले।
नूपुर धुनि सुन-सुन हर्षावें। आरती मां दुर्गे की गावें।
भैरव योगिनी गुण-गान गावें, डमरू ताल मृदंग बजावें।

हम भी उस धुन में रम जावें। आरती मां दुर्गे की गावें।
शाकम्भरी वैष्णवी माता, उत्पादक पालक गति दाता,
धूप दीप गन्धादि चढ़ावें। आरती मां दुर्गे की गावें।
भव बाधा से त्राण करो मां, मंगलमय ‘कल्याण’ करो मां,
करें आरती ध्यान लगावें। आरती मां दुर्गे की गावें।