भगवान शिव ने स्वयं बनाया यहां कुंआ
बनारस स्थित ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर के बीच 10 फीट गहरा कुआं है, जिसे ज्ञानवापी कहा जाता है। इसी कुएं के नाम पर मस्जिद का नाम पड़ा। स्कंद पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ने स्वयं लिंगाभिषेक के लिए अपने त्रिशूल से यह कुआं बनाया था। कहते हैं कि कुएं का जल बहुत ही पवित्र है, जिसे पीकर व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त हो जाता है। ज्ञानवापी का अर्थ होता है ज्ञान+वापी यानी ज्ञान का तालाब। ज्ञानवापी का जल श्री काशी विश्वनाथ पर चढ़ाया जाता था।
मस्जिद की दीवारें
मस्जिद के पीछे की दीवार हिंदू शैली में बनी हुई है, जो कि एकदम मंदिर जैसी दिखती है। हिंदू पक्षकारों का दावा है कि मंदिर को औरंगजेब ने तोड़ दिया था और ऊपर से आंशिक रूप से मस्जिद का निर्माण कर दिया था।
गौरी और गणेश की मूर्तियों का होना
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी परिसर में ही मां शृंगार गौरी, भगवान गणेश, हनुमान, आदि विश्वेश्वर, नंदीजी और कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी हैं।
मस्जिद की दीवार पर बनी हैं घंटियां
ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर घंटी की आकृतियां भी बनी हुई हैं। कहीं श्री, ॐ आदि लिखे हुए हैं। वहीं मस्जिद की ओर मुंह किए हुए नंदी की विशाल मूर्ति भी है।