बेहद पवित्र है यह जगह
हेमकुंड एक संस्कृत नाम है, जिसका अर्थ हेम (बर्फ) और कुंड (कटोरा) है। यहां पर स्थित झील और उसके आसपास के पवित्र स्थल को लोग लोकपाल कहते हैं। यह गुरुद्वारा साल में केवल 5 महीने ही दर्शन के लिए खुला रहता है, बाकी समय यहां पहुंचने के लिए रास्ता बर्फ से ढंका रहता है। गोविंद घाट तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु सवारी लेते हैं लेकिन इसके आगे का रास्ता जो 3 किलोमीटर के करीब है वह पैदल ही पार करना होता है। इस रास्ते पर अभी भी बर्फ जमी हुई है, जिसे हर साल की तरह भारतीय सेना के जवान काटकर रास्ता बनाएंगे।
रामायण काल से है इसका संबंध
हेमकुंड साहिब के बारे में धार्मिक मान्यता है कि इस स्थान का संबंध रामायण काल से है। यहां पर पहले मंदिर था, जिसका निर्माण भगवान राम के भाई लक्ष्मणजी ने करवाया था। यहां आकर गुरु गोबिंद सिंहजी ने 20 वर्षों तक कठोर तप किया था, जिसका उल्लेख गुरु गोबिंद सिंह द्वारा रचित दसम ग्रंथ में हुआ है। गुरु से संबंधित स्थान होने के कारण बाद में इस स्थान को गुरुद्वारा घोषित कर दिया गया। गुरुद्वारे के पास ही लक्ष्मणजी का भी एक मंदिर है।
सात पर्वतों से घिरी है यह जगह
हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे का दृश्य अत्यंत मनोरम है। गुरुद्वारे के पास ही एक झील भी है, जिसमें हाथी पर्वत और सप्त ऋषि पर्वत से जल आता है। इस झील को हेम सरोवर कहते हैं। मान्यता है कि इस झील के पानी का सेवन और स्नान करने से सभी तरह के रोगों और पापों से मुक्ति मिलती है। यह जगह करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है और सात बड़े पर्वतों से घिरा हुआ है।
रास्ते से बर्फ हटाने का काम शुरू
हेमकुंड साहिब के आस्था पथ से बर्फ हटाने का काम जारी है। सेना और यात्रा को संचालित करने वाले गुरुद्वारा ट्रस्ट के सेवादार बर्फ के बीच में से रास्ता बनाते हुए श्री हेमकुंड साहिब की पवित्र धरती पर पहुंचे। सेना के 35 सदस्य और ट्रस्ट के 15 सेवादारों की मौजूदगी में यहां अरदास के बाद गुरुद्वारे प्रांगण के मुख्य द्वार को खोला गया। गुरुद्वारे का मुख्य द्वार खुलने के साथ ही हेमकुंड साहिब से नीचे की सेना के जवानों और सेवादारों ने हेमकुंड साहिब के आस्था पथ से बर्फ हटाने का काम शुरू कर दिया था। यात्रा मार्ग घांघरिया से दो किमी आगे अटला कोटी ग्लेशियर पॉइंट से आगे बर्फ से ढका हुआ है।
गुरुद्वारा परिसर में खुलेगा बस बुकिंग काउंटर
चारधाम की तैयारियों को लेकर एआरटीओ (प्रशासन) ने ट्रांसपोर्टरों के साथ बैठक की। बैठक में ट्रांसपोर्टरों ने कहा, ऋषिकेश से हेमकुंड साहिब के लिए एक सप्ताह केवल एकतरफा यात्री मिलते हैं। एक सप्ताह बाद वहां से आने वाले यात्री मिलने के बाद औसत सही आता है। गुरुद्वारा प्रबंधक ने कहा कि जब यात्रा पर चरम पर होती है, तब रोटेशन से बसें नहीं मिल पातीं। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि रोटेशन की ओर से गुरुद्वारा परिसर में बुकिंग काउंटर खोला जाएगा। गुरुद्वारा परिसर में दो-तीन बसें खड़ी रहेंगी। सुबह-सुबह बसें हेमकुंड साहिब के लिए रवाना की जाएंगी। एआरटीओ ने कहा कि बस ऑपरेटरों को स्थानीय उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए यात्रियों को अवेयर करना चाहिए।