इस तरह होती है होली की पूजा
होली की पूर्व संध्या पर गुर्जर समाज के लोग चौपाल पर एकत्रित होकर, होलिका दहन से पूर्व ढोल-नगाड़े बजाते हैं। समाज के लोगों ने बताया कि इस दिन देवी-देवताओं की पूजा के बाद होलिका माता जो गांव में स्थापित की जाती है का पूजन किया जाता है। पूजन गुड़, हल्दी, जल, दूध, घी, जौ की बाल और गोबर से निर्मित बुरकला आदि से किया जाता है। माताएं पूजन के बाद अपने घर के मुख्य गेट पर हल्दी से सतियां बनाती हैं और उसके बाद अपना व्रत खोलती हैं।
स्वाद के साथ रंग
होली वाले दिन समाज के प्रत्येक घर में कचौड़ी, पकौड़ी आदि पकवान बनाए जाते हैं। अलग-अलग टोलियां बनाकर महिलाएं और पुरुष पूरे गांव में घर-घर जाकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं। दोपहर का समय होते ही गांव में लट्ठमार होली की शुरुआत हो जाती है। रंग लगाने की जिद करने पर महिलाएं गांव के हुरियारों को लट्ठमार होली खिलाती हैं। वहीं दिन के समय बूरा-चावल बनाया जाता है।