जोशीमठ की स्थापना और धार्मिक महत्व
जोशीमठ का प्राचीन नाम कार्तिकेयपुर था। उस समय जोशीमठ कत्यूरी राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। आदि शंकराचार्य जब चारों धामों की स्थापना के लिए भ्रमण कर रहे थे उस समय उन्होंने जोशीमठ में एक शहतूत के वृक्ष के नीचे तप किया था और यहां उन्हें ज्योतिष ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसलिए जोशीमठ को ज्योतिर्मठ और ज्योतिषपीठ के नाम से भी जाना जाता है। यहां शंकराचार्यजी ने भगवान नृसिंह की एक मूर्ति भी स्थापित की थी। क्योंकि जोशीमठ को भगवान नृसिंह की तपस्थली भी मानते हैं। किंवदंती है कि पहले जोशीमठ समुद्र में स्थित था। जब यह पर्वत के रूप में खड़ा हुआ तब भगवान नृसिंह ने इसे अपनी तपस्थली बनाया।
जोशीमठ का रामायण महाभारत काल से संबंध
जोशीमठ को लेकर कथा है कि यहां पर रामायण काल में हनुमानजी का आगमन हुआ था। लक्ष्मणजी जब मेघनाद के शक्ति बाण से मूर्छित हो गए थे तब हनुमानजी संजीवनी बूटी की खोज में यहां आए थे। हनुमानजी को रोकने के लिए रावण ने कालनेमि नामक असुर को भेजा। हनुमानजी ने जोशीमठ में ही कालनेमि का वध किया था। जहां पर कालनेमि को हनुमानजी ने मारा था वहां की जमीन आज भी लाल कीचड़ जैसी दिखती है। महाभारत काल में हनुमानजी ने पांडवों को यहां दर्शन दिए थे। ऐसी भी मान्यता है कि अज्ञातवास काल में स्वर्ग यात्रा के समय पांडव जोशीमठ होकर ही गए थे। आज भी लोग इस घटना की याद में फसल की कटाई के बाद पांडव नृत्य करते हैं।
जोशीमठ में कलियुग की भविष्यवाणी
जोशीमठ में स्थित नृसिंह मंदिर जहां भगवान बद्रीनाथ की शीतकालीन गद्दी है। यहां मंदिर में भगवान नृसिंह की एक प्राचीन मूर्ति है। भगवान नृसिंह की मूर्ति को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। दरअसल नृसिंह भगवान का एक बाजू सामान्य है जबकि दूसरा बाजू काफी पतला है और यह साल दर साल और पतला होता जा रहा है। मान्यता है कि जिस दिन नृसिंह भगवान का पतला हो रहा हाथ टूट जाएगा उस दिन बद्रीनाथ का मार्ग बंद हो जाएगा। नर नारायण पर्वत एक हो जाएंगे। भगवान बद्रीनाथ के भक्त भगवान बद्रीनाथ के दर्शन उस मंदिर में नहीं कर पाएंगे जहां पर वर्तमान में भगवान बद्रीनाथ भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। क्योंकि नर-नारायण पर्वत के मिल जाने से बद्रीनाथ धाम लुप्त हो जाएगा। इसके बाद से भगवान बद्रीनाथ के दर्शन भक्तों को भविष्य बद्री में मिल सकेगा।
भविष्य ब्रदी का रहस्य
जोशीमठ से बद्रीनाथ का मार्ग जब नर नारायण पर्वत के मिल जाने से बंद हो जाएगा तब भगवान बद्रीनाथ भक्तों को भविष्य बद्री में दर्शन देंगे। यहां एक शिला है जिस पर अभी अस्पष्ट आकृति है कहते हैं कि भगवान की यह आकृति धीरे-धीरे उभर रही है। जिस दिन यह आकृति पूरी तरह से उभर कर आ जाएगी उस समय से बद्रीनाथ भगवान भविष्य बद्री में ही भक्तों को दर्शन देंगे।
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