कन्याकुमारी क्यों है इतना खास
कन्याकुमारी का नाम जब भी लिया जाता है, तो ज्यादातर लोगों के मन में देवी के मंदिर की छवि उभरती है लेकिन कन्याकुमारी का महत्व इससे कहीं ज्यादा है। कन्याकुमारी शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। शिव पुराण के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े गिरे थे, वहां इन शक्तिपीठों का निर्माण हुआ। देवी पुराण के अनुसार पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले इन शक्तिपीठों की संख्या 51 हैं।
भद्रकाली मंदिर है खास, कन्याकुमारी देवी की सखी हैं भद्रकाली
यहां जहां तीनों सागर मिलते हैं, वहां संगम स्थल पर ही कन्याकुमारी के मंदिर में ही भद्रकाली मंदिर है। इन्हें देवी कुमारी की सखी माना जाता है। यह मंदिर भी शक्तिपीठ है, जहां माता सती के शरीर का एक अंग गिरा था। कन्याकुमारी प्राचीन देवी मंदिर के अलावा यहां दक्षिण में मातृतीर्थ, पितृतीर्थ, भीमतीर्थ भी हैं। पश्चिम में थोड़ी दूर पर ही स्थाणु तीर्थ है। यहां दर्शन करने के बाद आप कन्यकाश्रम मंदिर में जाना न भूलें, जो समुद्र तट पर स्थित है।
कन्याकुमारी जाएं, तो इन स्थलों के भी करें दर्शन
कन्याकुमारी में स्नानघाट पर बना गणेश मंदिर बहुत विशेष है। वहां स्नान घाट है,जहां गणेश जी का मंदिर है। मान्यता है कि स्नान के बाद गणेश जी का दर्शन करके तब कन्याकुमारी की के भव्य दर्शन करके आपको अपने पापों से मुक्ति मिलती है। मंदिर में अनेक देव विग्रह हैं। मंदिर से थोड़ी दूर पर पुष्करणी है, आपको अगर समुद्र के पास मीठ जल का स्वाद लेना है, तो यहां मंदिर के पास मीठे पानी की बावड़ी बनी हुई है। इसे माण्डूक तीर्थ कहते हैं। मान्यता है कि इसमें स्नान करने के मात्र से ही लोग पापमुक्त हो जाते हैं। स्वामी विवेकानंद अगर आपके प्रेरणास्त्रोत है, तो आप समुद्र से थोड़ी दूर आगे जाकर विवेकानंद शिला पर स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के दर्शन भी कर सकते हैं। यहां स्वामी जी ने बैठकर ध्यान लगाया था।
देवी पार्वती को कन्या रूप में पूजा जाता है
समुद्र तट पर कुमारी देवी का मंदिर है, जहां पर देवी पार्वती को कन्या के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर से एक मान्यता भी जुड़ी हुई है, जिसके मुताबिक देवी का विवाह संपन्न न हो पाने के कारण बचे हुए चावल-दाल ककड़ बन गए थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि कन्याकुमारी के समुद्र तट की रेत में दाल और चावल के आकार और रंग-रूप के ककड़ भी यहां देखे जा सकते हैं।
कन्याकुमारी कैसे जाएं
कन्याकुमारी रेल तथा सड़क मार्ग से जुड़ा है। यह त्रिवेंद्रम से 80 किलोमीटर दूर है। यहां चेन्नई तथा त्रिवेंद्रम से रेल या बस से भी पहुंचा जा सकता है। आप अगर अपनी गाड़ी से जाना जाते हैं, तो चेन्नई पहुंचकर यहां ड्राइव करके पहुंच सकते हैं।
कन्याकुमारी मंदिर में दर्शन करने की टाइमिंग क्या है
कन्याकुमारी मंदिर भक्तों के दर्शन करने के लिए सुबह 4:30 बजे खुल जाता है। वहीं, दोपहर 12:30 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद मंदिर को फिर से शाम 4 बजे से लेकर रात 8 बजे तक के लिए दर्शन के लिए खोल दिया जाता है।