काशी का महत्व
आचार्यों के अनुसार, शंकर का अर्थ है कल्याण करने वाला। भगवान शंकर का काम दूसरों का कल्याण करना ही है। उन्होंने काशी में मुक्ति का क्षेत्र खोल रखा है। शास्त्र में भी आता है – ‘काशीमरणान्मुक्तिः‘। इस क्षेत्र में मरने वाले की मुक्ति हो जाती है। यहां शंका होती है कि काशी में मरने वाले के पाप का क्या होता है? इसका समाधान है कि काशी में मरने वाले पापी को पहले ‘भैरवी यातना‘ भुगतनी पड़ती है, फिर उसकी मुक्ति हो जाती है। भैरवी यातना बड़ी कठोर यातना है, जो थोड़े समय में ही पापों का नाश कर देती है। काशी केदारखण्ड में मरने वाले को तो भैरवी यातना भी नहीं भोगनी पड़ती।
तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं भगवान शंकर
भगवान शंकर आशुतोष, यानी शीघ्र प्रसन्न होने वाले हैं। वे थोड़ी-सी उपासना करने से ही ख़ुश हो जाते हैं। इस विषय में अनेक कथाएं हैं। एक बधिक था, जिसे एक दिन खाने के लिए कुछ नहीं मिला। संयोग से उस दिन महाशिवरात्रि थी। रात्रि के समय उसने वन में एक शिव मंदिर देखा तो वह भीतर गया। देखा कि शिवलिंग के ऊपर स्वर्ण का छत्र टंगा था। वह उस छत्र को उतारने के लिए जूती समेत शिवलिंग पर चढ़ गया। लेकिन, उसे दंड न देकर, भगवान शंकर ने यूं माना कि ‘इसने अपने आपको मुझे अर्पण कर दिया’ और वह प्रकट हो गए।
यह कहानी जानते हैं आप?
भगवान शंकर के तुरंत प्रसन्न हो जाने की कई कहानियां हैं। एक कुतिया खरगोश को मारने के लिए उसके पीछे भागी। खरगोश भागता हुआ एक शिव मंदिर में घुस गया। वहां वह शिवलिंग की परिक्रमा करते हुए भागा तो आधी परिक्रमा में ही कुतिया ने खरगोश को पकड़ लिया। लेकिन, शिवलिंग की आधी परिक्रमा हो जाने से खरगोश को मुक्ति मिल गई।