Pitru Paksha 2024 : अगर आपकी कुण्डली में पितृदोष तो इन तीर्थों में करें पितृदोष का निवारण

गया – पितृ तीर्थ गया की महिमा और विशेषता इतनी अधिक है कि कोई भी श्राद्ध कर्म चाहें घर में, गौशाला में, चाहे प्रयागराज, काशी, पुष्कर, नैमिषारण्य अथवा गंगा आदि नदियों के तट पर ही क्यों न हो रहा हो, सर्वत्र और सभी श्राद्ध को प्रारम्भ करने से पूर्व गयाधाम और भगवान गदाधर का स्मरण कर उनका पूजन किया जाता है तो श्राद्ध आदि कर्म का फल गया में किए गए श्राद्ध के बराबर माना जाता है।

बद्रीधाम –
बद्रीनाथ धाम में ब्रह्म कपाल तीर्थ है, यहां यात्री पिंडदान करते हैं। मान्यताओं के अनुसार शंकर जी ने जब ब्रह्मा जी का पांचवा मस्तिष्क काटा तब वह उनके हाथ में चिपक गया जब समस्त तीर्थों में घूमते शंकर जी यहां आए तब वह हाथ में चिपका कपाल स्वतः छूट कर गिर पड़ा इसलिए इस क्षेत्र में पिंडदान करने का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि किसी भी पितृ का गया जी एवं अन्य पितृतीर्थों पर पितृकर्म संपन्न कर लिया जाए तो अंत में इस तीर्थ पर आकर पिंड दान करना चाहिए। इसी बद्री क्षेत्र के ब्रह्म कपाल क्षेत्र में पिंडदान करने के बाद कहीं भी पिंडदान करना निषेध माना गया है।

पितरों को तृप्ति प्रदान करता है नैमिषारण्य –
नैमिषारण्य भगवान शंकर को परमप्रिय तथा महापातकों को दूर करने वाला है। कूर्म पुराण में वर्णन अनुसार यहां की गई तपस्या, श्राद्ध, यज्ञ, अन्नदान आदि एक-एक क्रिया सात जन्मों के पापों का विनाश कर देती है। नैमिषारण्य तीर्थ अनेक धार्मिक कार्यों के लिए जाना जाता है जिसमें पितृपक्ष में इस तीर्थ का विशेष महत्व है। मान्यताओं के अनुसार नैमिषारण्य में पिंडदान करने से पितरों की क्षुधा (भूख) शांत होती है।

प्रयागराज –
विद्वानों के अनुसार गया जाने से पहले भी प्रयाग आना श्रेष्ठ फल प्रदान करता है। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि काशी में शरीर का त्याग, कुरुक्षेत्र में दान एवं गया में पिंडदान का महत्व, प्रयाग में मुंडन संस्कार किए बिना अधूरा रहा जाता है।

अन्य तीर्थ पितृ स्थल –
अयोध्या, उज्जैन, अमरकण्टक, हरिद्वार, नासिक, पुष्कर, तिरुपति, शिव की नगरी, काशी में पिंडदान करने पर जीव आत्मा को मोक्ष मिलता है। पितरों को सच्चे मन से श्रद्धा सुमन गंगा आदि किसी भी पवित्र नदी के तट पर अथवा तीर्थ क्षेत्र में तर्पण एवं पिंडदान देने से पितरों की तृप्ति एवं मुक्ति होती है जिससे संपूर्ण परिवार का कल्याण होता है।