रामलला का बदल गया भोग
जनवरी में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान ठंड का मौसम था लेकिन अब नौतपा की वजह से गर्मी का प्रकोप बढ़ गया है इसलिए हर दिन जलाभिषेक के बाद रामलला को सूती वस्त्र धारण कराए जा रहे हैं। भीषण गर्मी में श्रृंगार के बाद फूलों से सजी थाली में दीपक जलाकर आरती होती है। सुबह और शाम दही का भोग लगाया जा रहा है। इसके अलावा मौसमी फल और लस्सी को भी भोग में शामिल किया गया है। पहले रामलला का पेड़ा, खीर, पूड़ी-सब्जी और मौसमी फल का भोग लगाया जाता था लेकिन अब गर्मी के हिसाब से भोग लगाया जा रहा है।
श्रद्धालुओं को दिया गया ओआरएस का घोल
चिलचिलाती गर्मी पर आस्था भारी साबित हो रही है। जेठ के पहले बड़े मंगल पर रामनगरी में आस्था का सैलाब उमड़ा। श्रद्धालुओं को गर्मी से बचाने के किए गए व्यापक प्रबंध किए गए हैं। अयोध्या पुलिस ने हनुमानगढ़ी पर पहुंचे श्रद्धालुओं को पानी पिला कर उनसे अपील भी की कि खाली पेट न रहे। बुजुर्गों और बच्चों को विशेष तौर पर खाने-पीने और तरल पदार्थ लेने की सलाह दी गई। वहीं रामलला के दर्शन के लिए पहुंचे भक्तों को ओआरएस के पैकेट बांटे गए हैं।
25 मई से नौतपा आरंभ
25 मई से नौतपा शुरू हो गया है और इसका समापन 2 जून को होगा। नौतपा जब से आरंभ होता है, तब से अगले 9 दिन तक भीषण गर्मी होती है। पंचांग के अनुसार, नौतपा की शुरुआत उस दिन से मानी जाती है, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में भ्रमण करते ही सूर्य की तपन कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। रोहिणी चंद्र देव की पत्नी हैं और रोहिणी नक्षत्र को वृषभ राशि का मस्तक भी बताया गया है।
नौतपा में ग्रहों की युति
बताया जाता है कि नौतपा यानी 9 दिनों के अंतराल में अगर बारिश ना हो तो उस वर्ष वर्षा अधिक होती है। वहीं अगर नौतपा में बारिश होती है तो इसे नौतपा का गलना कहा जाता है, ऐसा होने पर अच्छी बारिश नहीं होती है। नौतपा अगर गर्मी से खूब तपा तो उस साल अच्छी बारिश होती है क्योंकि इसकी वजह से समुद्र के जल का तेजी से वाष्पीकरण होता है, जिससे बादल बनते हैं और बारिश करते हैं। मौजूदा समय में सूर्य वृषभ राशि में गोचर कर रहे हैं। साथ ही शुक्र नौतपा से पहले वृषभ में आ गए हैं। पूरे नौतपा के दौरान वृषभ राशि में सूर्य, शुक्र और गुरु की युति बनी रहेगी अर्थात नौतपा के दौरान हर दिन त्रिग्रही योग बनेगा, जिससे मौसम में बदलाव आएगा।