Sanjhi Mai Aarti : सांझी माई का आरता, आरता री आरता मेरी सांझी माई आरता…

सांझी माता की पूजा मुख्य रुप से नवरात्रि में ही की जाती है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, सांझी माता को मां दुर्गा या माता पार्वती का प्रतीक ही माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि नवरात्रि के 9 दिनों में जो कोई भी सांझी की पूजा करता है उसके घर में सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सांझी माता की आरती मुख्य रुप से घर की महिलाओं और कुंवारी कन्याओं द्वारा की जाती है। झांसी माता को लेकर एक बहुत ही प्रसिद्ध लोक गीत या भजन भी कह सकते हैं। जिसका पाठ रोजाना 9 दिनों तक करना चाहिए। ऐसा करने से सांझी माता सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। साथ ही कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की भी प्राप्ति होती है। पढ़ें सांझी माई का लोक गीत।

आरता री आरता मेरी सांझी माई आरता,
आरता के नैन, कचाली भर आइयो
टेढ़ी टेढ़ी पगियो में, बीरा जी हमारे,
लंबे लंबे घूंघट वाली, भावज हमारी,

क्या मेरी सांझी ओढेगी, क्या मेरी सांझी पहरेगी,
सोने का सीस गुनधाएगी,
जाग सांझी जाग तेरे माथे लगे भाग,
तेरी पटियों में मांग, तेरे हाथो में सुहाग,

गोरा री गोरा सांझी का भैया गोरा
गोरी है बहुरिया, अस्सी तेरे फूल, पिचासी तेरे डंडे
श्रवण तेरी डोर, मुल्तानी तेरे पलड़े,
नौ नवरात्रे देवी के 16 कनागत पितरों के,
उठ मेरी देवी बारंबार, खड़े हुआ हम शीश झुका,

हल्दी गांठ गठीली, सबकी बहु है हठीली,
मांगे सोने का बिंदा, बिंदा मोल गया,
भाभो रूठ गयी, भैया बागों में जाइयो,
एक लोधड़ा कटाइयो, सूडा सूड़ मचाइयो,

कालबली के ऊंचे पाए, नीचे पाए
लेले बेटा गोद खिलाए,
गुरसल मंगल गाती आई,
चिड़िया चूं चूं करती आई

अऊं तेरी सांझी, मांगे गेंहू,
तू दे सपूती जौ, तेरे बेटा होंगे नौ,
नौ नोरते देवी के, सोलह कनागत पितरों के,
खोल मेरी देवी , चंदन किवाड़,
मैं आई तेरे पुजनहार,
पूज पूजन्ति क्या कुछ लाई,
भैया भतीजे सब परिवार,

भैया तेरे नौ दस बीस
भतीजे तेरे पूरे तीस

बोलो सांझी माई की जय