Saraswati Arti Vandana Hey Hans Vahini, सरस्वती माता आरती वंदन, हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी

Sarswati Vandana He Hans Vahini, Gyan dyani सरस्वती माता ज्ञान और विद्या की देवी हैं और हंस के आसन पर विरजमान रहती हैं। हंस पवित्रता और ज्ञानवान पक्षियों में से माना जाता है। ज्ञान की देवी हाथों में विणा धारण करती हैं और अपनी वीणा से मधुर स्वर को उत्पन्न कर सृष्टि को मोहित कर रही हैं। आइए बसंत पंचमी पर करते हैं देवी सरस्वती की वंदन करें, हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी……

हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी, हे हंसवाहिनी, ज्ञान दायिनी।।
अंब विमल मति दे, अंब विमल मति दे।
जग सिरमौर बनाएं भारत, वह बल विक्रम दे।
वह बल विक्रम दे।

हे हंसवाहिनी, ज्ञान दायिनी, अंब विमल मति दे।
अंब विमल मति दे।।

साहस शील हृदय में भर दे, जीवन त्याग-तपोमय कर दे।
संयम सत्य स्नेह का वर दे, स्वाभिमान भर दे।
स्वाभिमान भर दे।।

हे हंसवाहिनी, ज्ञान दायिनी, अंब विमल मति दे
अंब विमल मति दे।

लव-कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम मानवता का त्रास हरें हम।
सीता, सावित्री, दुर्गा मां फिर घर-घर भर दे, फिर घर-घर भर दे।।

हे हंसवाहिनी, ज्ञान दायिनी, अंब विमल मति दे।
अंब विमल मति दे।।

माता सरस्वती की आरती गाएं… ओम जय सरस्वती माता, मैय्या जय सरस्वती माता

जय सरस्वती माता, जय ज्ञान दायिनी माता, जय वीणा पुस्तक धारिणी माता…..