Sawan 2024: कुदाल लगते ही शिवलिंग से बही दूध की धारा, जानें दूधनाथ मंदिर की रोचक कथा

सावन की तीसरी सोमवारी पर मुशहरी प्रखंड के बादुर छपरा स्थित बाबा दूधनाथ महादेव मंदिर में लगभग एक लाख शिवभक्तों ने जलाभिषेक किया। इनमें पहलेजा घाट से पैदल आए साठ हजार से अधिक कांवरिया भी थे। इसके अलावा बूढ़ी गंडक नदी के आथरघाट से भी जल लेकर आसपास के गांवों के हजारों श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया। दूधनाथ महादेव मंदिर की कहानी बहुत ही रोचक है। आइए, जानते हैं दूधनाथ मंदिर की कथा।

शिवलिंग हुआ था प्रकट

मंदिर के पुजारी विमल दास ने बताया कि आधी रात से ही कांवरिए मंदिर में पहुंचने लगे थे। 2 बजे से जलाभिषेक शुरू हुआ, जो सोमवार को पूरे दिन जारी रहा। उन्होंने बताया कि मुजफ्फरपुर जिले के मुसहरी प्रखंड अंतर्गत छपरा मेघ गांव में बाबा दूधनाथ का विशाल मंदिर है। इस मंदिर से जुड़ी कई कहानी और परंपराएं हैं। यही कारण है कि बाबा दूधनाथ के प्रति भक्तों की श्रद्धा भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इस मंदिर के पुजारी बताते हैं कि महादेव का शिवलिंग मंदिर में उसी स्थान पर निकला था, जहां पर यह बाबा का मंदिर विराजमान है।

दूधनाथ मंदिर की अद्भुत कथा

पंडित विमल दास बताते हैं कि मंदिर प्रांगण में मौजूद पोखर की खुदाई सैकड़ों साल पहले हो रही थी। उसी दौरान खुदाई करने वाले मजदूर ने जब मिट्टी पर कुदाल चलाया, तब जाकर बाबा का शिवलिंग प्रकट हुआ। शिवलिंग पर कुल्हाड़ी लगने से शिवलिंग से दूध की धार निकलने लगी। उस वक्त गांव वाले बेहद आश्चर्य हुआ। देखते ही देखते चारों तरफ यह बात फैल गई कि तब से इस शिवलिंग को दूधनाथ कहा जाने लगा। इसके बाद एक दिन महंत को स्वप्न आया, जिसमें महादेव ने कहा कि शिवलिंग को स्थापित कर मंदिर बनाओ। महादेव के शिवलिंग पर आज भी कुल्हाड़ी के निशान है। उसके बाद ग्रामीणों ने मंदिर की स्थापना की। 1934 के भूकंप में मंदिर को कुछ नुकसान नहीं हुआ। वही, आसपास के घर जमींदोज हो गए, तब से मंदिर के प्रति लोगो कि आस्था और बढ़ गई।