Shree Lakshmi Ji Ki Aarti: श्री लक्ष्मीजी की आरती, ओम जय लक्ष्मी अम्बे

श्री लक्ष्मी आरती
ओम जय लक्ष्मी अम्बे, माया जय आनंद कंडे।
सत् चित नित्य स्वरूपा, सुरा नर मुनि सोहे।।

ओम जय स्वर्ण-सदृश शरीर, दिव्य वस्त्रधारी राजा।
माया श्री पीठे सुरपूजित, कमलासन सजे।

ओम जय तुम जगत जननी विश्वम्भर रूपा हो।
माया कष्ट दरिद्र विनाश, सौभाग्य सहित।

ओम जय नाना भूषण भजत, रजत सुखकारी।
माया कानन कुण्डल सोहत, श्री विष्णु प्यारी।

ओम जय उमा तुम, इन्द्राणी तुम सबकी रानी।
माया पद्म शंख कर धारी, भुक्ति, मुक्ति दायी।
ओम जय दुःख हरति सुख करती, भक्तन हितकारी। माया जय आनंद कंडे।।

मनोवांछित फल पावै, सेवा नर नारि।
ओम जय अमल कमल घृत माता, जगत् को पतित करने वाली।
माया विश्व चराचर तुम ही, तुम विश्वम्भर दायी।
ओम जय कंचन थल विराजत, शुभ्रा कपूर बाती। माया।
आरती नित-दिन गाकर, जन-जन का मन मंगल करती है॥ ओम जय