Tulsi Mata ki Aarti : आरती तुलसी माता की, आरती वृंदा तुलसी की

Tulsi Mata Ki Aarti | Jai Tulsi Mata Aarti

आरती वृन्दा तुलसी की ।
प्राण की प्यारी प्रभुजी ॥

कंचन थार कपूर की बाती ।
करत प्रकाश ये दिन राती ॥

देखि लक्ष्मिहुं दौड़ी आती।
नित नव होति आरती घी की ॥१॥

जो उन्नति नित चहहि सुमति मति ।
तुलसीहिं भजहिं कहहिं कमलापति ॥

तुलसीदल बिलु जिनहिं लगै अति ।
मेवहं और मिठाइहं फीकी ॥२॥

हे भगवती ! सती भय भंजनि।
तुलसी पाप ताप मद रंजनि
हरि की परम प्रिया अति नीकी।।

प्रेम होत जहं तुलसी माहीं।
भूलिहुँ तंह यम दूत न जाहीं ॥

सुन्दरदास रहत अब नाहीं ।
भजतहिं मिटत भवजलनि जीकी ॥४॥