Vaikuntha Ekadashi Vrat Katha | वैकुंठ एकादशी व्रत कथा

आइए जानते है वैकुंठ एकादशी (Vaikuntha Ekadashi Vrat Katha) के दिन पढ़े जाने वाली वैकुंठ एकादशी व्रत कथा-

एक समय की बात है, एक नगर में एक ब्राह्मण परिवार रहा करता था। वह परिवार सदाचारी था, लेकिन एक समस्या थी, जो ब्राह्मण की पत्नी को परेशान करती थी।

वह बहुत ही धार्मिक और पतिव्रता थी, परंतु उन्हें संतान का सुख नहीं मिल रहा था। बहुत समय तक प्रयास करने के बाद भी जब वह संतान की प्राप्ति में असफल रही, तो उन्होंने भगवान विष्णु से प्रार्थना की।

एक दिन वह ब्राह्मणी शोक और चिंता में बैठी रही, तभी भगवान विष्णु ने अपने भक्त के दुःख को महसूस किया और उस दिन उनके स्वप्न में प्रकट हुए।

भगवान विष्णु ने स्वप्न में ब्राह्मणी को दर्शन दिए और कहा, “हे पतिव्रता! तुम अत्यंत पुण्यशाली हो, लेकिन तुम्हारी इच्छाओं की पूर्ति के लिए तुम्हें एक विशेष व्रत का पालन करना होगा। इस व्रत का नाम वैकुंठ एकादशी (Vaikuntha Ekadashi Vrat Katha in hindi) है। यदि तुम श्रद्धापूर्वक इस व्रत का पालन करोगी, तो तुम्हारी संतान की इच्छा अवश्य पूरी होगी और तुम्हे मोक्ष की प्राप्ति होगी।

भगवान विष्णु ने ब्राह्मणी को यह व्रत विधिपूर्वक करने का निर्देश दिया। जिसके बाद भगवान के आदेश से ब्राह्मणी ने वैकुंठ एकादशी का व्रत करना शुरू किया।

तब ब्राह्मणी ने अगले दिन पूरे विधि-विधान से वैकुंठ एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रही। उन्होंने इस दिन को पूरी श्रद्धा और पवित्रता से व्यतीत किया और रातभर भगवान विष्णु का मंत्र जाप किया।

व्रत समापन के बाद ब्राह्मणी को भगवान विष्णु ने दर्शन दिए। भगवान विष्णु ने कहा, “हे ब्राह्मणी! तुम्हारे व्रत के पुण्य से तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। तुम्हें संतान का सुख प्राप्त होगा और तुम्हारे जीवन में सुख-समृद्धि का वास होगा।

भगवान ने ब्राह्मणी को आशीर्वाद देते हुए यह भी कहा कि उसका पुनर्जन्म वैकुंठ में होगा और मृत्युं के बाद मोक्ष की प्राप्ति होगी।कुछ समय बीत जाने के बाद ब्राह्मणी को एक पुत्र की प्राप्ति हुई।

जिस प्रकार ब्रह्माणी को दिया उसी प्रकार भगवान विष्णु सभी को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।भगवान विष्णु की जय !

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